________________
३२४
भगवतीसूत्र उत्पद्यन्ते । गाङ्गेयः पृच्छति-'संतो भंते । नेरइया उव्यति, असतो नेरइया उबट्टति !' हे भदन्त ! किं सन्तो द्रव्यार्थतया विद्यमानाएब नैरयिका उद्वर्तन्ते ? किंवा असंतो द्रव्यात या अविद्यमानाएव नरयिका उद्वर्तन्ते ? भगानाह'गंगेया ! संतो नेरइया उन्नति, नो असंतो नेरइया उन्नति ' हे गाङ्गेय ! सन्तो द्रव्यार्थतया विद्यमाना एव नैरयिका उद्वर्तन्ते, नो असन्तो द्रव्यार्थतया अविद्यमाना नैरयिका उद्वर्तन्ते । खरविषाणादिवदेव सर्वथा असतो वस्तुनः उद्वअसुरकुमार आदिसे लेकर वैमानिक देवोंकी पर्यायसे उत्पन्न होते हैं वे सब असत्रूप होकर ऐसे नहीं होते हैं किन्तु द्रव्यार्थिक दृष्टिसे सदरूप होकर ही उस २ पर्यायवाले बनते हैं। अथवा-द्रव्य विशेषकी अपेक्षा असुरकुमार आदिरूप पर्याययुक्त बने हुए होकर ही आगे भी उसी २ पर्यायसे उत्पन्न होते हैं। अथवा-असुरक्रुमारादि आयु ष्यके उदयसे भाव अस्तुरकुमार आदिरूप बना हुआ जीव ही असुरकुमार आदिकी पर्यायोंसे उत्पन्न होता है। ___ अब गांगेय प्रभुसे ऐसा पूछते हैं- तो संते ! नेरच्या उव्व. इंति असंतो नेरड्या उन्नति' द्रव्य दृष्टिले विद्यमान रहे हुए नैरयिक उद्वत्तना करते हैं या द्रव्य दृष्टिसे अविद्यमान नैरयिक उत्तना करते हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-हे गांगेय ! 'संतो नेरइया उध्वटंति नो असन्तो नेरड्या उव्वदृति ' द्रव्याधिक नयकी द्रष्टिसे विद्यमान नारकी ही उद्वर्तना करते हैं द्रव्यार्थिक नयकी दृष्टिसे विद्यमान नारक ही उद्वर्तना करते हैं द्रव्यार्थिक नयकी दृष्टिसे अविद्यमान नैरयिक उतना नहीं करते हैं। क्योंकि खर જવું. એટલે દ્રવ્યાર્થિક નયની અપેક્ષાએ વિદ્યમાન અસુરકુમારાદિ જી જ અસુરકુમારાદિ પર્યાયે ઉત્પન્ન થાય છે-અવિદ્યમાન અસુરકુમારાદિ છે અસુરકુમારાદિ પર્યાયે ઉત્પન્ન થતા નથી. અથવા દ્રવ્યનિક્ષેપની અપેક્ષાએ તેઓ અસુરકુમારાદિ રૂપ પર્યાયાકાન્ત બનેલા થઈને જ તેઓ અસુરકુમારાદિ પર્યાયે ઉત્પન્ન થતા હોય છે.
અથવા અસુરકુમારાદિ આયુષ્યના ઉદયથી ભાવ અસુરકુમાર આદિ રૂપ બનેલે જીવ જ અસુરકુમારાદિની પર્યાયમાં ઉત્પન્ન થાય છે.
गांगेय मारना प्रश्न-" संतो भंते ! नेरइया उबदति, असंतो नेरइया उबट्रेति" मन्त! द्रव्यष्टिश्री विद्यमान नारहे। इतना ४२ छ કે દ્રષ્ટિથી અવિદ્યમાન નારકે ઉદ્વર્તન કરે છે ?
भडावीर प्रसुना उत्त२-"गगेया " गांगेय ! " संतो नेरइया उच्च टुंति नो असन्तो नेरइया उन्चट्टति " द्र०यार्थिः नयनी दृष्टि विद्यमान નારક જ ઉદ્વર્તાના કરે છે, દ્રવ્યાર્થિક નયની દષ્ટિએ અવિધમાન નારકે ઉદ્ધના કરતા નથી, કારણ કે ખર