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________________ भगवतीसरे गाङ्गेय ? नो सान्तरं पृथिवीकायिका उपपद्यन्ते निरन्तर पृथिवीकायिका उपपधन्ते । एवं यावत् वनस्पतिकायिकाः, द्वीन्द्रिया यावत् वैमानिकाः, एने यया नरयिकाः ॥ १॥ ___टीका-'तेणं काटेणं, तेणं समएणं वाणियगामे नाम नपरे होत्या, वाणो' तस्मिन् काले तस्मिन् समये वाणिज्यग्राम नाम नगरमासीत् वर्णकः-वर्णनम् , अस्य वर्णनम् औपपातिकवर्णितचम्पानगरीवर्णनवदयसे यम्, 'दुइपलासे चेहए' दृतिपलाशं नाम चैत्यम् उद्यानमासीन् , तस्य वर्णनमपि औपपातिकमत्रोक्तपूर्णउत्पन्न नहीं होते हैं किन्तु वे विना अन्नर के ही उत्पन्न होते हैं। ( एवं जाव वणस्सइकाइया-वेइं दिया जाव वेमाणिया-एए जहा नेरच्या) ऐसा ही कथन यावत् वनस्पतिकायिक जीवों तक जानना चाहिये। वेन्द्रिय जीवों से लेकर यावत् वैमानिकों तक का कयन नैरयिकों के कान की तरह जानना चाहिये। टीकार्य-अनन्तर उद्देशक में केवली आदि के वचन को सुन करके जीव केवलज्ञान उत्पन्न कर सकता है ऐसा कथन किया गया है-मो जिसने केवली के वचन को सुनकर केवलज्ञान उत्पन्न कर लिया है उसका प्रतिपादन सूत्रकार इस उद्देशक में करते हैं-(तेणं कालेणं तेणं समएणं) उस काल और उस समय में (वाणियगामे नाम नया होत्या) वाणिज्यग्राम इस नाम का नगर था। (वण्णओ) इसका वर्णन औपपातिकस्सूत्र में वर्णित चंगा नगरी के वर्णन जैसा ही जानना चाहिये। (दुइपलासे चेइए) उसमें दृतिपलाश नाम का यक्षायतन था-उद्यान ( एवं जाव वणस्सइ काइया ) यायिकाना थन पन२५तिथि प-तना मेन्द्रिय छ। वि सभा. ( दिया जाय वेमाणिया-ए ए जहा नेरइया ) मेन्द्रि वाथी मन भानि। पर्यन्तना वोर्नु प्रयन नाना કથન પ્રમાણે જ સમજવું. ટીકાર્ય–આગળના ઉદ્દેશકમાં કેવલી આદિનાં વચને શ્રવણ કરીને જીવ કેવળજ્ઞાન ઉત્પન્ન કરી શકે છે, એવું પ્રતિપાદન કરવામાં આવ્યું છે. હવે સૂત્રકાર આ ઉદ્દેશકમાં જેણે કેવલીના વચનો સાંભળીને કેવળજ્ઞાન ઉત્પન્ન ४॥ दीधु छ, मेवी व्यक्तिनुं प्रतिपादन ४२ छ-" तेण काळेण तेण समएण" तेणे भने त समये “वाणियगामे नामं नयरे होत्या " पाणियाम नामे ना२ तु. “वण्णओ" मौ५५ाति सूत्रमा या नगरीतुं २ पनि ३२. पामा मा०युं छे, मे १ तेतुं न समा. " दूइपलासे चेइए " ना.
SR No.009318
Book TitleBhagwati Sutra Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages692
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size40 MB
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