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प्रमेयचन्द्रिका टीका श० ८ ९ सू० ९ कार्मणशरीरप्रयोगवन्धनिरपणम् १०९ स्तोकत्वमबन्धकानाम् , अनन्तगुणत्व च देशबन्धकानां वोध्यम् । एवं रीत्या आयु. कर्जम् यावत्-दर्शनावरणीय वेदनीय-मोहनीय-नाम-गोत्राऽऽन्तरायिकका. मणशरीरप्रयोगवन्धविषयेऽपि सर्वस्नोकत्यम् अवन्धकानाम् , अनन्तगुणत्व देशवन्धकानामवसेयमिति भावः । अथ गौतमः आयुष्कविपये प्रश्नयति-'आउयस्स पुच्छा' हे भदन्त ! आयुकस्य पृच्छा, तथा च आयुष्फकार्मणशरीरपयोगम्य देशवन्धकानाम् अबन्धकानां च मध्ये कतरे कतरेभ्योऽल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका ना भवन्तीति प्रश्ना, भगवानाह-' गोयमा 1 सम्बत्योवा जीवा आउयस्स कम्मरस देसवंधगा, अबंधगा संखेज्जगुणा' हे गौतम ! सर्वस्तोका जीवा आयुष्कस्य कार्मणस्य शरीरप्रयोगस्य देशबन्धका भवन्ति, अवन्धकाश्च इनसे अनन्तगुणा कहा गया है-ऐसा जानना चाहिये । इसी तरह से आयुष्ककार्मणशरीरप्रयोगव'ध को छोड़कर शेष दर्शनावरणीय, वेदनीय मोहनीय, नाम, गोत्र और अन्तराय इन काणशरीरप्रयोगबंधों के विषय में भी इनके अबन्धकों को सब से कम और देशबन्धकों को अनन्तगुणा जानना चाहिये।
अब गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं (आउयस्स पुच्छा ) हे भदन्त ! अयुष्क कार्मणशरीरप्रयोग के देशबंधकों एवं अबंधकों के बीच कौन जीव किनकी अपेक्षा अल्प हैं ? कौन जीय किनकी अपेक्षा बहुत हैं ? कौन जीव किनके बराबर हैं और कौन जीव किन की अपेक्षा विशेषाधिक हैं ? इनके उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा) हे गौतम ! (सम्वत्योबा जीया आउयस्स कम्मरस देसबंधगा, अबंधगा संखेज्जगुणा-) अयुष्क कर्म के देशबंधक जीव सब से कम हैं और इनसे
ઓછાં છે, અને દેશબંધક અબંધ કરતાં અનંતગણું છે, એમ સમજવું. એજ પ્રમાણે આયુષ્ક કામણ શરીર પ્રગબ ધ સિવાયના બાકીના દર્શના વરણીય, વેદનીય, મોહનીય, નામ, ગોત્ર અને અન્તરાય કાર્પણ શરીર પ્રગના અબંધકે સૌથી ઓછાં છે અને દેશબંધકે અનંતગણ છે એમ સમજવું.
गौतम स्वाभाना प्रश्न-" आउयस्स पुच्छा" हे महन्त ! भायु કામણ શરીર પ્રયોગના દેશબંધ અને અબંધમાં કોણ કોના કરતા અલ્પ છે ? કોણ તેના કરતાં અધિક છે? કોણ કેની બરાબર છે? કેણ કેનાં કરતાં વિશેષાધિક છે ?
___ महावीर प्रभुने। 6त्त२-.. गोयमा " गौतम ! " सब्वत्थोवा जीवा आउयरस कम्मस्स देसवधगा, अब धगा रखेन्जगुणा" आयु म प्रयोगना भ० ५२