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भगवती सूत्रे
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नापि व्यवहारं स्थापयेत्, तदाह - ' णो य से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं ववहारं पट्टवेज्जा' नो च नैव यदि तस्य व्यवहर्तुः तत्र व्यवहतेव्यादौं आगमः स्यात् भवेत् तदा यथा यत्मकारकं यादृशमित्यर्थः, तस्य तत्र श्रुतं स्यात् तादृशेन श्रुतेनैव व्यवहार प्रायश्चित्तादिकं प्रस्थापयेत् ' णो वा से तत्थ सुए सिग, जहा से तत्थ आणा सिया, आगाए ववहार पट्टवेज्जा' नो वा नैव यदि तस्य व्यवहर्तु तत्र व्यवहर्तव्यादौ श्रुतं स्यात् तदा यथा यादृशी तस्य व्यवहर्तुस्तत्र व्यवहर्तव्यादौ आज्ञा स्यात् तादृश्या आज्ञयैव व्यवहारं प्रायश्चित्तादिकं प्रस्थापयेत् प्रवर्तयेत्, 'णो य से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए णं वबहार पट्टवेज्जा' नो च नैव यदि तस्य व्यवहर्तुस्तत्र व्यवहर्तव्यादौ विषये आज्ञा स्यात्तदा यथा यादृशी तस्य तत्र धारणा स्यात् तादृश्या धारणयैव खलु व्यव
य से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ हुए सिया सुएणं वदवारं पठवेज्जा' इस सूत्र से होती है -सूत्रकार कहते हैं कि व्यवहर्ता के पास व्यवहर्तव्य वस्तु के विषय में यदि आगम नहीं है, तो जैसा उसके पास श्रुत हो वह उससे ही उस वस्तु का प्रायश्चित्त आदि व्यवहार चलावे ( णो वासे तत्थ सुए सिया- जहा से तत्थ आणा सिया आणाए ववहारं पवेज्जा ) यदि उसके पास श्रुत नहीं है तो व्यवहर्ता के पास प्रायश्चित्त आदि को चलाने के लिये उसके विधान देने के लिये जैसी आज्ञा हो-जैसा आज्ञारूप व्यवहार हो, उससे ही . वह उस प्रकार का प्रायश्चित्त आदि के देने का व्यवहार चलावे ' णो य से तत्थ आणा सिया जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए णं ववहारं पट्टवेज्जा' व्यवहर्ता के पास यदि प्रायश्चित्त आदिके लिये आज्ञा
णोय से तत्थ आगमे विया, जहा से तत्थ सुए सिया सुरणं ववद्दार पटुवेज्जा ) सूत्रा२ छे व्यवहर्तानी पासे व्यवहर्तव्य वस्तुना विषयभां જે માગમ ન હાય, પણ શ્રુતને સદૂભાવ હાય તેા, તેણે શ્રુતને આધારે જ ते वस्तुना आयश्चित्तनो व्यवहार यसाववो लेहये. ( णो वा से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया आणाए ववहार पटुवेज्जा ) ले व्यवहर्तानी પાસે શ્રુતનેા સદ્દભાવ ન હેાય, તે પ્રાયશ્ચિત્ત આદિ આપવાને માટે તેનુ વિધાન દેવાને માટે જેવી આજ્ઞા હાય-જેવા આજ્ઞારૂપ વ્યવહાર હાય-તેના દ્વારા તેણે પ્રાયશ્ચિત્ત આદિ આપવાના વ્યવહાર ચલાવવા જોઇએ.
( णो य से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाएणं बवहार' पट्ठवेब्जा ) ले व्यवडतांनी यासे प्रायश्चित आहिने भाटे भाज्ञा३य