________________
treat a० श०८ उ०८ सु०६ सूर्यनिरूपणम्
१३९
सर्वत्र उच्चत्वमष्टयोजनशतानि अस्ति ? इति प्रश्नाशयः । भगवानाह - 'हंता गोयमा ! जंबुद्दीवेणं दीवे सूरिया उग्गमण • जात्र उच्चत्तेणं' हे गौतम ! हन्त, सत्यं जम्बूद्वीपे खल द्वीपे सूर्यौ उद्गमनमहूर्ते यावत् मध्यान्तिकमुहूर्ते च अस्तमनमुहूर्ते च सर्वत्र सम उच्चत्वेन वर्तेते इति भावः, अथोक्तार्थे गौतमः कारणं पृच्छति - 'जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि य, भज्यंतियहुतंसि य, अत्थमणमुहुत्तंसि य मूले जात्र उच्चतेणं' हे भदन्त ! यदि खलु जम्बूद्वीपे द्वीपे सूर्यो उद्गमनमुहूर्ते च मध्यान्तिकमुहूर्त्ते च अस्तमनमुहूर्ते च मूले आसन्न यावत् सर्वत्र समौ उच्चत्वेन वर्त्तेते, द्वयोरपि सूर्ययोः समभूतलापेक्षया सर्वत्र उच्चत्वमष्टौ योजनशतानि इति उच्यते ' से केणं खाइ अद्वेणं मंते ! एवं
बुच्चर - जंबुद्दीवेणं
मुहत्तंसि य सन्वत्थ समा उच्चतेणं ) हे भदन्त ! जंबूद्वीप नामके इस द्वीप में दो सूर्य उदयकाल में मध्याह्नकाल में और अस्तंगतकाल में ऊंचाई की अपेक्षा सर्वत्र सम हैं क्या ? अर्थात् पूछने का आशय ऐसा है कि दोनों सूर्यो की ऊंचाई समभूतल की अपेक्षा से सर्वत्र क्या आठ सौ योजन की है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं - 'हंता, गोयमा ' हां, गौतम ! सत्य है 'जंबुद्दीवेणं दीवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चते णं' इम जंबूद्वीप नाम के द्वीप में दोनों सूर्य उदय काल में मध्याEnte में और अस्तकाल में ऊँचाईकी अपेक्षा सर्वत्र सम हैं ।
अव गौतमस्वामी प्रभु से ऐसा पूछते हैं- जहणं भंते! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गहन्तंसि य, मज्झति य मुहतसि य, अत्थमणसुहृत्तंसि य, मूले जाव उच्चन्ते णं ) हे भदन्त ! यदि इस जम्बूद्रीप नामके arr में दोनों सूर्य उगमन मुहूर्त में, मध्यान्तिकमुहूर्त में और अस्तमनमुहूर्त में आसन हैं यावत् सर्वत्र ऊंचाईमें सम हैं- समभूत लकी अपेक्षा से सर्वत्र ऊचाई इनकी आठ सौ योजन की है-ऐसा आप कहते हैं
ઊંચાઈ સમભૂતલની અપેક્ષાએ શુ ષષે ૮૦૦ ચેાજનની જ છે ?
महावीर प्रसुनो वाण - " हंता, गोयमा ! " डा, गौतम ! मे बात भरी छेडे (जबूद्दीवेणं दोवे सूरिया उग्गमण जाव उच्चत्तेनं ) मा यूद्रीपमां બન્ને સૂર્ય ઉદયાળે, મધ્યાહ્નકાળે અને અશ્તકાળે સત્ર એક સરખી ઊંચાઇએ હાય છે.
गौतम स्वामीना अश्न- " जइणं भते । जंबूद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमण मुहुत्त सिय, मज्झतिय, मुहुत्त सि य, अत्थमणमुहुत्त सि य, मूले जाव उच्चत्तेणं " ભદન્ત ! જો આ જબુદ્વીપ નામના દ્વીપના મને સૂર્ય ઉદય પામતી વખતે, મધ્યાસકાળે અને અસ્ત પામતી વખતે સત્ર સમાન ઊંચાઇએ રહેલા હાય છે (સમભૂતલની અપેક્ષાએ સર્વત્ર ૮૦૦ ચાજનની ઊંચાઈએ રહેલા હાય