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' गोयमा ! अत्येगइए बंधी, बंध, बंधिस्as १ हे गौतम | साम्परायिकं कर्म अस्त्येककः कचिज्जीवो बद्धवान्, नाति, भन्तम्यति १, 'अत्ये गए बंबी, बं न बंधिस्सइ२' अस्त्येककः कश्चित् बद्धान्, नाति, न भन्त्स्यतिर, 'अत्येगइएबधी, न बंधइ, बंधिस्सइ ३' अस्त्येककः कथित् बद्धवान, न वध्नाति, भन्तस्य वि, 'अत्थेगइर् बबी, न बंधइ, न बंधिस्स' अत्येककः कश्चित् बद्धवान् न बन्नाति, नभन्त्स्यति, अयमाशयः-अत्र पूर्वोक्तेषु अष्टसु विकल्पेषु आद्याश्रन्वार एव संभवन्ति, में प्रभु कहते हैं (गोयमा) हे गौतम! (अत्थेगए बंधी, बंध, घिस्सर ) कोई जीव अपगतवेद्याला ऐसा होता है कि जिसने पूर्वकाल में इस सांपरायिक कर्मका वध किया है वर्तमान में वह इसका बंध करता है, और आगे भी वह इसका वध करेगा । (अत्थे गए बंधी, बंध, न बंधिस्म) कोई एक जीव ऐसा होता है कि जिसने पूर्वकाल में इसका बंध किया है, वर्तमान में वह इसका बंध कर रहा है, पर आगे वह इसका बंध नहीं करेगा २, (अत्थेगए बंधी, न बंध, बंधिस्स ) कोई एक जीव ऐसा होता है कि जिसने इसका बंध पहिले किया होता है २, वर्तमान वह इसका बंध नहीं करता है, हां भविष्यत् में वह इसका बंध करनेवाला होता है ३, (अत्थेगइए बंधी, न बंघ, न बंधिस्सह ) कोई एक जीव ऐसा होता है जो इसका पहिले तो बंध करता है, पर वर्तमान में वह इसका बंध नहीं करता और न भविष्यत् में वह इसका यंत्र करने वाला बनता है । इस कथन का अशय ऐसा है कि पूर्वोक्त आठ
अत्थेइ बंधी
भडावीर प्रभुना उत्तर- ( गोयमा ! ) हे गौतम! बंध, बधिरसइ " (१) । अपगत देहवानो छव मेवा होय छे ભૂતકાળમાં આ સાપરાયિક કર્મના અધ ઠોં હાય છે, વમાનમાં તે તેને अरे हैं भने लविष्यभां पशु ते तेनेो ध १२शे. " अत्येगइए चंधी, बंध, न व रिसइ " (२) अव सेवा होय छे भूतअजभां तेना બંધ કર્યાં હાય છે, વર્તમાનમાં તે તેને બંધ કરતા હોય છે, પણ ભવિષ્યમાં ते तेना गंध नहीं रे. " अत्येग बंधी, न बंध, वधिरह " ( 3 ) । ६४ જીવ એવા હાય છે કે જેણે ભૂતકાળમાં તેના ખ"ધ કર્યાં હોય છે, વમાનમાં ते तेना धरतो नथी, पशु भविष्यभां ते तेना गंध २. " अत्थेगरए a' a q'œ, a afas" (8) fissati 22 d. કાળમાં તેને 'ધ કર્યાં હાય છે, પણ વમાનમાં તેને અને ભવિષ્યમાં પણ તે તેના ખય કરશે નહીં. આ કથનના
બંધ કરતા નથી આશય એવા
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