________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.६ मु.५ क्रियास्वरूपनिरूपणम्
७२७ ष्क्रियः, स्यात् अक्रियः, नैरयिकः खलु भदन्त ! वैक्रियशरीरात् कतिक्रियः? गौतम ! स्यात त्रिक्रियः, स्यात् चतुष्क्रियः, एवं यावद् वैमानिकः, नवरं मनुष्यो यथा जीव , एवं यथा औदारिकशरीराणाम् चत्वारो दण्डका भणितास्तथा वक्रियशरीरेणापि चत्वारो दण्डका भणितव्याः, नवर पञ्चमक्रिया न भण्यते, शेषं तदेव, एवं यथा वैक्रियं तथा आहारकमपि तेजसमपि, सरीराओ कइ किरिए ) हे भदन्त ! जीव परकीय वैक्रिय शरीरको आश्रय करके कितनी क्रियाओंवाला होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए ) एक जीव परकीय वैक्रिय शरीरको आश्रय करके कदाचित् तीन क्रियाओंवाला होता है, कदाचित् चार क्रियाओंवाला होता है (पांच क्रियाओंवाला नहीं होतो है) और कदाचित् विना क्रियाओंके भी होता है। (नेरइएणं भंते ! वेउब्वियसरीराओ कइकिरिए ) हे भदन्त ! एक नारक जीव वैक्रिय शरीरके आश्रयसे कितनी क्रियाओंवाला होता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहां जीवे ) एक नारक जीव परकीय वैक्रिय शरीरके आश्रयसे कदाचित् तीन क्रियाओंवाला होता है, कदाचित् चार क्रियाओंवाला होता है। इसि तरहसे यावत् वैमानिक तक जानना चाहिये, परन्तु मनुष्यको जीवकी तरह कहना चाहिये। (एवं जहा ओरालियसरीराणं चत्तारि दंडगा भणिया; तहा वेउव्वियसमन. (जीवेणं भंते ! वेउब्बियसरीराओ कइ किरिए ?) हेमन्त ! 4 ५२४ीय यि शरीरना पायथी 24 (या होय छे ! (गोयमा! सिय तिकिरिए, पिय चउकिरिए, सिय अकिरिए) गौतम ! मे४ ०५ ५२४ीय વૈક્રિયશરીરને આશ્રય કરીને કયારેક ત્રણ ક્રિયાઓવાળ પણ હોય છે, કયારેક ચાર ક્રિયાઓવાળે પણ હોય છે (પાંચ ક્રિયાઓવાળા હોતે નથી). અને કયારેક ક્રિયારહિત होय छे. (नेरइए णं भंते ! वेउब्बियसरीराओ कइ किरिए ? ) मत ! मे ना२४ ७५ यि ना माश्रयथा सा छिया भावाला डाय छ ? ( गोयमा !)
गौतम ? (सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, एवं जाव वेमाणिए, नवरं मणुस्से जहा जीवे) मे ना२४ ७५ ५२४ीय यि शरीरना माश्रयथा ध्या२४ ત્રણ ક્રિયાઓવાળો હોય છે અને કયારેક ચાર કિયાવાળો હોય છે વૈમાનિક પર્યન્તમાં આવું જ કથન સમજવુ પણ મનુષ્ય વિષેનું કથન જીવના કથન મુજબ સમજવું.