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________________ अमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.६ सू.४ दीपस्वरूपनिरूपणम् ७१९ खलु ध्मायतो ध्मायमानम्य वा ज्वलत', किं प्रदीपो ध्मायति ज्वलति, यष्टिः ध्मायति, ज्वलति, ध्मायतेवा ? अथवा यष्टिः दीपयष्टिः मायति ज्वलति ? 'वत्तीझियाइ' किं वा वर्तिका-दीपदशा ध्मायति ज्वलति 'तेल्ले झियाइ' किं वा तैलं ध्मायति, 'दीव चंपए झियाई' दीप चम्पकं दीपाधारपात्रं वा ध्मायति, ज्वलति, 'जोई झियाइ' ज्योतिः अग्निर्वा ध्मायति ज्वलति, भगवानाह गोयमा ! नो पईवे झियाइ जाव नो पईवचंपए झिगाइ, जोई झियाइ' हे गौतम ! नो प्रदीपो दीपयष्टयादिसमुदायो ध्मायति ज्वलति, यावत्-नो दीपयष्टिः ध्मायति, नो वर्तिका ध्मायति, नो वा तैलं ध्मायति, नैव दीप - चम्पकं ध्मायति, अपितु ज्योतिः अग्निः ध्मायति ज्वलति ज्वलनप्रस्तावाद गौतमः पृच्छति-'आगारस्स णं भंते ! झियायमाणस्स कि आगारे झियाइ, झियाइ, वत्ती झियाइ, तेल्ले झियाइ, दीपचंपए झियाइ, जोइ झियाइ' हे भदन्त ! जब दीपक जलता है- तो उस समय जलते हुए उस दीपक में क्या जलता है ? क्या वह दीपक जलता है ? या पष्टि जलती है ? अथ-यष्टि-दीपष्टि-दीवट जलती है ? या दीपक में रहा हुआ तेल जलता है? या दीपचंपक-दीपका आधारभूत पात्र जलता है? या अग्नि जलती हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं‘गोयमा' हे गौतम ! 'नो पइवे झियाइ जाव नो पइवचंपए झियाइ, जोइ झियाइ' न दीपक जलता है, न दीपयष्ठि आदि रूप समुदाय जलतो है अर्थात्-न दीपयष्टि जलती है, न बत्ती जलती है, न तैल जलता है, और न दीपचंपक जलता है, किन्तु-ज्योति-अग्नि जलती है। इसी ज्वलनका विषयको लेकर गौतम पूछते हैं 'आगारस्स णं भंते ! झियापमाणस्स किं आगारे झियाइ, कुड्डा झियाइ, कडणा ત્યારે તે બળતા દીવામાં શું બળે છે? શું તે દીપક બળે છે? કે દીપકની વાટ બળે છે? કે બત્તી બળે છે કે તેલ બળે છે? કે દીપચંપક (દીપકના આધારભૂત પાત્ર) બળે છે? ४ न्याति (मन) मगे छ ? उत्तर :- गोयमा ! ' गौतम ! 'नो पईवे झियाइ, जाव नो पइवचंपए झियाइ, जोई झियाड' मरता ५४मा ५४ पसतो नथा, वीपी पाट मस्ती નથી, બત્તી બલતી નથી, તેમાં પૂરેલું તેલ બલતું નથી, દીપકના આધારભૂત પાત્ર (उयु कोरे) ५ be नथी, परन्तु न्याति (मन) मणे छे. ४ाना पसन विपना भीन्ने प्रम गौतम स्वामी पछे छे. आगारस्स णं भंते ! झियायमाणस कि आगारे झियाइ, कुडा झियाइ, कंडणा मिंयाइ,
SR No.009316
Book TitleBhagwati Sutra Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages811
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size47 MB
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