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भगवतीमो परिणताः पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह-गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! गर्भव्युत्क्रान्तिकमनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः द्विविधाः प्रज्ञप्ताः, 'तं जहा'-तद्यथा-'पज्जत्तगगम्भवक्कंतिया वि, अपज्जत्तगगम्भवक्कंतिया वि' पर्याप्तगर्भव्युत्क्रान्तिका अपि मनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणाः पुद्गलाः । 'असुरकुमारभवणवासिदेवा णं० पुच्छा ? असुरकुमारभवनवासिदेवाः खलु पृच्छा ? तथा च-असुरकुमारभवनवासिदेवपञ्चेन्द्रियप्रयोग परिणताः पुदगलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? भगवानाह- 'गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! ते द्विविधाः प्रज्ञप्ताः 'तं जहा' तद्यथा-' पज्जत्तगअसुरकुमार०अपज्जत्तगअमुर०' पर्याप्तकासुरकुमारभवनवासिऐसा पूछा है कि हे भदन्त ! जो गर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल हैं वे कितने प्रकार के कहे गये हैं ? इसके उत्तरमें प्रभु उनसे कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! "दुविहा पण्णत्ता' जो गर्भव्यस्क्रान्तिक मनुष्यपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणतपुद्गल हैं वे दो प्रकारके कहे गये हैं । 'तंजहा' जो इस प्रकारसे हैं 'पज्जत्तगगत्सवक्कंतिया वि, अपज्जत्तगगम्भवक्कंतिया वि' एक पर्याप्तकगर्भव्युत्क्रान्तिक मनुष्यपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल, दूसरें अपर्याप्तकगर्मव्युत्क्रान्तिक मनुष्यपंचेन्द्रियप्रयोग परिणत पुद्गल 'असुर'कुमार भवणचारली देवाणं पुच्छा' हे सदन्त ! अस्सुरकुमार अवनवासी देवपंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? इसके उत्तर प्रभु कहते हैं 'गोयमा ! 'दुविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! ये दोपकारके कहे गये हैं। 'तजहा' जो इस प्रकारले हैं पजत्तग असुरकुमार. अपज्जत्तग असुर.' पर्याप्तक असुरकुमार भवनपतिदेवपंच'गव्भवक्क तिय मणुस्सपचिंदिय पुच्छा' 3 लन्त ! गer भनुप्यप येन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुस । प्रा२ना ह्या छ ? उत्तर- 'गोयमा !' गीतम ! 'दविहा पण्णता' गम भनुष्य५येन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुस मे २ना या छ. 'तंजहा' त मे ॥२॥ीय प्रमाणे छे-पज्जत्तगगम्भवक तिया वि.अपज्जत्तगगम्भवतिया वि' (૧) પર્યાપ્તક ગર્ભવ્યુત્કાનિક (ગર્ભજ) મનુષ્યપ ચેન્દ્રિય પ્રયોગપરિણત પુદગલ અને (૨) અપર્યાપ્તક ગર્ભજમનુષ્ય પચેન્દ્રિય પ્રયોગપરિણત પુદગલ.
गौतम स्वाभाना !- 'अमुरकुमारभवणदासिदेवाणं पुच्छा' हे महन्त ! અસુકુમાર ભવનપતિદેવ પચેન્દ્રિય પ્રગપરિણત પુદગલ કેટલા પ્રકારના હોય છે?
मडावी२ प्रभुने। उत्तर-'गोयमा ! उ गौतम । 'दविहा पण्णत्ता-तंजहा'' तभना मे ४२ नीय प्रभा ४या छ-'पज्जत्तग असुरकुमार०, अपजत्तग असुर