________________
५७५
प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ सू.१२ कायिक्यादिक्रियानिरूपणम् क्रियाः विशेपाधिकाः, मिथ्यादृष्टीनाम् अविरतसम्यग्दृष्टीनाश्च जीवानां तास सद्भावात, 'पारिग्गहियाओ विसेसाहियाओ' पारिग्रडिक्यः क्रियाः विशेषाधिकाः, उपर्युक्तानां मिथ्यादृशामचिरतसम्यग्दृशाम् देशविरतानाञ्च जीवानां तासां सद्भावत्, 'आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ' आरम्भिक्यः क्रियाः विशेषाधिकाः, उपर्युक्तानां प्रमत्तसंयतानाञ्च जीवानां तासां सद्भावात्, 'मायाबत्तियाओ विसेसाहियाओ' मायाप्रत्ययिक्य क्रिया विशेषाधिका भवन्ति पूर्वोक्तानां सर्वेषाम् अप्रमत्तसंयतानाञ्च जीवानां तासां सद्भावात्, अत्रार्थे गाथादयम् - 'मिच्छा पच्चक्खाणे, परिग्गहारंभ-माय किरियाओ,
कमसो मिच्छा - अविरय- देस पमत्त - पमत्ताणं ॥१॥
क्यों कि इन क्रियाओंका सद्भाव मिथ्यादृष्टि जीवों में और अविरत सम्यग्दृष्टि जीवों में पाया जाता है। ' परिग्गहिमाओ विसेसाहियाओ ' पारिग्रहिकी क्रियाएँ इनसे भी विशेषाधिक हैं- क्यों कि ये क्रियाएँ मिथ्यादृष्टियों में अविरत सम्यग्दृष्टियों में, और देशविरतिवाले जीवां में पायी जाती हैं । 'आरंभियाओं किरियाओविसेसाहियाओ' इनकी भी अपेक्षा आरंभिक क्रियाएँ विशेषाधिक हैं क्यों कि ये क्रियाएँ पूर्वोक्त मिथ्यादृष्टि आदि जीवों में और प्रमत्त जीवों में पायी जाती हैं । मायावत्तिय विसेसाहियाओ' मायाप्रत्ययिकी क्रियाऍ इनसे भी विशेषाधिक है- क्यों कि ये क्रियाएँ पूर्वोक्त मिध्यादृष्टि आदि जीवों में और अप्रमत्त संयत सकषायी जीवों में पायी जाती हैं । प्रज्ञापना मुत्रके २२ वे पद में जो कायिकी आदि क्रियाएँ कही गई हैं- उनका तात्पर्य ऐसा है जो ये कायिकी, आधिकरणिकी, प्राद्वेषिकी, पारितापकी, लवामा भने अविरत सभ्यगू दृष्टि लवोभा होय छे 'परिग्गहियाओ विसेसाहियाओ' પાગ્રિહિકી ક્રિયાએ તેમના કરતા પણ વિશેષાધિક હેાય છે, કારણકે તે ક્રિયાઓને સદ્ભાવ મિથ્યા દૃષ્ટિ જીવામા, અવિરત સમ્યગ્ દષ્ટિ જીવામાં અને દેશવિરતિવાળા छवोभा नेवासा यावे 'आरंभियाओ किरियाओ विसेसाहियाओ' मार लि ક્રિયાએ તેમના કરતા પણ વિશેષાધિક હોય છે, કારણકે પૂર્વકિત મિથ્યાસૃષ્ટિ આદિ वोमा भने अभत्तसंयत वामां तेभनो सहुलाव होय . ' मायावत्तियाओ विरोसाहियाओ ' मायाप्रत्ययिडी प्रिया । तेभना राय विशेषाषिठ होय छे, र પૂર્વોકત મિથ્યાદષ્ટિ આદિ જીવામાં તથા અપ્રમત્તસયત સાયી જીવાના તે ક્રિયાઓના સદ્ભાવ જોવા મળે છે પ્રજ્ઞાપના સૂત્રના ૨૨ મા પદમાં કાયિકી આદિ જે ક્રિયા કહી છે તેનુ તાત્પર્ય નીચે પ્રમાણે છે
6