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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.२ सू. ९ लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ४४३ च अज्ञानानि भजनया, तस्य अलब्धिकाः खलु पृच्छा ? गौतम ! ज्ञानिनोऽपि, अज्ञानिनोऽपि, ये ज्ञानिनस्ते नियमात एकज्ञानिन:-केवलज्ञानिनः, ये अज्ञानिनस्ते नियमात् इयज्ञानिनः तद्यथा-मत्यज्ञानिनश्च, श्रुताज्ञानिनश्च, स्पर्शेन्द्रियलब्धिकाः खलु अलब्धिकाः खलु यथा इन्द्रियलब्धिकाश्च, अलब्धिकाश्च ॥स. ९॥ चाहिये । तथा इन दोनो इन्द्रियों की लब्धि विनाके जीव श्रोत्रोन्द्रिय लब्धिरहित जीवों की तरह दो ज्ञानवाले या दो अज्ञानवाले या एक केवलज्ञानवाले होते हैं। जो जीव जिन्हा इन्द्रियकी लब्धिवाले होते हैं उनमें चार ज्ञान और तीन अज्ञान भजनासे होते हैं। (तस्स अलद्धिया णं पुच्छा) हे भदन्त ! जो जीव जिव्हेन्द्रियलब्धिसे रहित होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (नाणी वि अन्नाणी वि) हे गौतम! जिव्हन्द्रियलब्धिसे रहित जीव ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं । (जे नाणी, ते नियमा, एगनाणी केवलनाणी, जे अनाणी ते नियमा दुअन्नाणीतं जहा मइ अन्नाणी य, सुय अन्नाणी ग) जो ज्ञानी होते हैं वे नियमसे एक ज्ञान-केवलज्ञानवाले ही होते हैं। तथा जो अज्ञानी होते हैं, वे नियमसे दो अज्ञान वाले होते हैं-एक मति अज्ञानवाले
और दूसरे श्रुत अज्ञानवाले । (फासिंदियलद्धियाणं, अलद्वियाएं जहा इंदिय लद्धिया य अलद्धिया य) स्पर्शन इन्द्रिय लब्धिवाले और इसकी अलब्धिवाले जीव इन्द्रिय लब्धिवाले और इन्द्रिय की अलब्धिवाले जीवोंकी तरह जानना चाहिये । ઇદ્રિનીલબ્ધિ સિવાયના જીવો શ્રોત્રેન્દ્રિય લબ્ધિ રહિત જીવની માફક બે જ્ઞાનવાળા અને ત્રણ અજ્ઞાનવાળા અને એક કેવળજ્ઞ નવાળા હોય છે જે જીવ જીહાંઈન્દ્રિય લબ્ધિવાળા डाय छे तमनाभा या२ ज्ञान भने त्र] भज्ञान मनाया 14 छ. 'तस्स अलद्धियाणं पुच्छा' सगवान् ने 91 न्द्रय सन्धि सिवायना डाय छे ते ज्ञानी डाय छ । अज्ञानी। 'गोयमा' गौतम । 'नाणी वि अन्नाणी वि' ७०३न्द्रियानि रसित | जानी पर हय छ भने अज्ञानी पY डाय छे 'जे नाणी ते नियमा एगनाणी केवल नाणी जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी तं जहा मडअन्नाणीय मुयअन्नाणीय '२ जानी होय छे त नियमथी मे जान जाना पतथा જે અજ્ઞાની હોય છે તે નિયમથી મત્યજ્ઞાન અને શ્રત અઝાન એમ બે અજ્ઞાનવાળા હોય છે. 'फासिदियलद्धियाणं अलद्धियाणं जहा इंदियलद्धिया य अलद्धिया य' २५शन લિબ્ધિવાળા અને તેમની લબ્ધિ સિવાયના જીવ ઈદ્રિયલબ્ધિવાળા અને ઈક્રિયલધિ સિવાયના જીની માફક જ સમજવા,