________________
३९८
भगवतीस्त्रे गौतम ! ज्ञानिनोऽपि, अज्ञानिनोऽपि, ये ज्ञानिनस्ते नियमात् एकज्ञानिनःकेवलज्ञानिनः, ये अज्ञानिनस्ते सन्ति एकके द्वधज्ञानिनः, त्रीणि अज्ञानानि भजनया, एवं श्रुतज्ञानलब्धिका अपि, तस्य अलब्धिका अपि यथा आभिनिबोधिकज्ञानस्य अलब्धिकाः । अवधिज्ञानलब्धिकाः खलु पृच्छा? गौतम ! ज्ञानिनः, नो अज्ञानिनः, सन्ति एकके विज्ञानिनः, सन्ति एकके चतुर्जानिन, होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा ! नाणी वि, अन्नाणी वि, जे नाणी ते नियमा एगनाणी, केवलनाणी, जे अन्नाणी ते अत्थेगइया दुअन्नाणी, तिनि अन्नाणाई भयणाए, एवं सुयनाणलद्धिया वि) हे गौतम ! आभिनिबोधिक ज्ञान लब्धिसे रहित जीव ज्ञानी भी होते हैं, अज्ञानी भी होते हैं । जो ज्ञानी होते हैं, वे नियमसे एक ज्ञानवाले होते हैं। जो अज्ञानी होते हैं उनमें कितनेक दो अज्ञानवाले होते हैं और कितनेक तीन अज्ञानवाले होते हैं । इसी तरहसे श्रुत ज्ञानलब्धिवाले जीवों को भी जानना चाहिये । (तस्स अलद्धिया वि जहा आभिणिबोहियनाणस्स अलद्धिया) श्रुतज्ञानलब्धि रहित जीव आभिनियोधिक ज्ञान लब्धि रहित जीवोंकी तरह होते हैं । (ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा ) हे भदन्त ! अवधिज्ञान लब्धिवाले जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (नाणी, नो अन्नाणी) हे गौतम! अवधिज्ञान लब्धिवाले जीव ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं होते । (अत्थे गइया तिन्नाणी, अत्थेगइया चउनाणी) इनमें कितनेक जीव तीन १२ना व ज्ञानी जय छ ? भनानी खाय छे ? ' गोयमा' गौतम । ' नाणी वि अन्नाणी वि जे, नाणी ते नियमा एगनाणी केवलनाणी जे अन्नाणी ते अत्थेगइया दु अन्नाणी, तिन्नि अन्नाणाइं भयणाए एवं सुयनाणलद्धिया वि' गौतम ! मालिनिया५४ ज्ञान विनाना 4 ज्ञानि पहाय छ भने અજ્ઞાની હોય છે. જે જ્ઞાની હોય છે તે નિયમથી એક જ્ઞાનવાળા હોય છે જે અજ્ઞાની હોય છે તેમાં કેટલાક બે અજ્ઞાનવાળા અને કેટલાક ત્રણ અજ્ઞાનવાળા હોય છે. એજ शत श्रुतज्ञान या वान पर सभ७ वा 'तस्सअलद्धिया वि जहा आभिणिवोहियनाणस्स अलद्धिया' श्रुतज्ञान सन २डित 94, मालिनिमाथि ज्ञान a विनान वानी भा३४ डाय छे. 'ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा' Baca ! अपविज्ञान aluratण ७१ ज्ञानी उप छ । अज्ञानी ? 'नाणी नो अन्नाणी' गौतम! अवधिज्ञान वा ५ बानी हाय छे अज्ञानी नडी. 'अत्थेगइया तिन्नाणी, अत्थेगइया चउनाणी' मा ४८८४ ७ जानवाणा
HitHARTRAITHHTHA