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पमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.२ २.६ लन्धिस्वरूपनिरूपणम् भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? गौतम ! नो ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, सन्ति एकके द्वयज्ञानिनः, त्रीणि अज्ञानानि भजनया । आभिनिवोधिकन्नानलन्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? गौतम ! ज्ञानिनः, नो अज्ञानिनः, सन्ति एकके विज्ञानिनः त्रीणि ज्ञानानि चत्वारि ज्ञानानि भजनया। तस्य अलब्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अनानिनः ? (तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा कि नाणी अन्नाणी) हे भदन्त । ज्ञान लब्धिरहित जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (णो णाणी, अन्नाणी) हे गौतम ! ज्ञानकी लब्धि रहित जीव ज्ञानी नहीं होते हैं अज्ञानी होते हैं। (अत्थेगडया दु अन्नाणी, तिपिण अन्नाणाणी भयणांए) कितनेक इनमें दो अज्ञानवाले होते हैं, कितनेक तीन अज्ञानवाले होते हैं. इस तरह से ये भजनासे तीन अज्ञानवाले होते हैं। (आमिणियोहियणाणलद्धिया णं भंते ! जीवा कि णाणी अन्नाणी) हे भदन्त ! आभिनियोधिक ज्ञानलब्धिवाले जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम! ( नाणी नो अन्नाणी) आभिनिबोधिक ज्ञानलब्धिवाले जीव ज्ञानी होते हैं, अज्ञानी नहीं होते हैं । (अत्थेगइया दुन्नाणी, चत्तारि नाणाई भयणाए) इनमें कित. नेक जीव दो ज्ञानवाले होते हैं। चार ज्ञानवाले इनमें सजना से होते हैं । अर्थात कितनेक तीन ज्ञानवाले होते हैं और कितनेक चार ज्ञानवाले होते हैं । (तस्स अलद्धिया णं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी) हे भदन्त ! आभिनिवोधिकज्ञानकी लब्धि से रहित जीव क्या ज्ञानी डेय छे 'तस्स अलद्धीयाणं जोवा किं नाणी अन्नाणी' है मन ! सान Aloe २ही। वे शुजानी राय ? अशानी ? 'नो नाणी अन्नाणी' गौतम ! गान समिति ७५ ज्ञानी नहीं मानी हायछे 'अत्यंगइया दु भन्नाणी, तिची अन्नाणाणी भयणाए' मा eat मे मनाना स मात्र मानवाणा होय छे. साशत साथी त वा सजानवाणा हाय छे. 'अभिणिवोहियनाणलद्धियाणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी' सान्त ! मलिनियोधित ज्ञानam | सुजानी डाय छ ? जानी ? 'गोयमा' गौतम । ' नाणी नो अन्नाणी' ते जाना जाय , मानी जाती नयी. ' अस्थेगइया दुन्नाणी चत्तारिनागार्ड भयणाए' मा ४७ मे शानदार डाय छ भने साने या जानना मन डाय छे तेम 21 नए ज्ञानवाणी मने eal यार ज्ञानवाण हाय छे 'नम्र अ लद्धियागं भंने जोवा किं नाणी अन्नाणी' हे मन' मानिनिधि जान