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अमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ.२ सू. २ आशीविषस्वरूपनिरूपणम् २८५ 'तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे असंखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे ? ' गौयमा! संखेजवासाउय-जाव-कम्मासीविसे, नो असंखेजवासाउय-जावकम्मासीविसे । जइ संखेजजावकम्मासीविसे किं पज्जत्तसंखेज्जजावकम्मासीविसे, अपजत्तस खेज्जजावकम्मासीविसे ? गोयमा !' इत्यादि, अतः परं मूले वर्तते एव, तथा च हे गौतम । पञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिककर्माशीविषो नो समूच्छिमपञ्चेन्द्रियतिर्यग्योनिककर्माशीविषो भवति, अपितु गर्भव्युचासाउय गम्भवक्क तिय पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे , क्या वे कि जो संख्यातवर्षकी आयुवाले हैं ? या कि 'असंखेजावाला उयजाव कम्मासीविसे' वे जो असंख्यातवर्ष कि आयुवाले हैं ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! 'संखेजबासाउय जाव कम्मासीविसे' जो तिथंच संख्यातवर्षकी आयुवाले हैं वे काशीविप हैं 'नो असंखेजवासाउय जाव कम्नासीविसे' असंख्यातवर्ष की आयुवाले भोगभूमिक गर्भज तिर्यंच कर्माशीविष नहीं हैं । इस पर गौतम प्रभुसे ऐसा पूछते हैं कि यदि संख्यातवर्ष की आयुवाले कर्मभूमिज तिर्यच कर्माशीविष हैं तो इनमें 'किं पजत्त संखेज्जवासा उय जाव कम्मासीविसे ? अपज्जत्त जाव कम्भासीविसे' जो पर्याप्त संख्यातवर्षकी आयुवाले कर्मभूमिज पंचेन्द्रियगर्भज तियं च हैं वे कर्माशीविष हैं या जो अपर्याप्त संख्यातवर्षकी आयुवाले कर्मभूमिज पंचेन्द्रिय गर्भज तिर्य च हैं वे कर्माशीविष हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते है 'गोयमा' हे गौतम! इत्यादि- इसके बादका पाठ मूलमें है 'किं संखेज्जवासाउय गम्भवक्कंतिय, पंचिंदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे'
तर सध्यात वर्षनी मायुषवाणा छ ? मा२ 'असंखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे ते मस स्यातू ष नी मायुष्यवाणा होय छ ? उत्तर- 'गोयमा ॐ गौतम ! 'संखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसेरे लिय" स च्यात पनी "मायुष्यवाणांछे त मशीविष छे. 'नो असंखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे' અસ ખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા ભેગભૂમિક ગર્ભજ તિર્ય ચ કમશીવિષ હેતા નથી. પ્રશ્ન- જે સખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા કર્મ જ ભૂમિ તિર્યંચ કર્માશીવિષ છે તે તેમા 'किं पन्जत्तसंखेजवासाउय जाब कम्मासीविसे ? अपज्जत्त जाव कम्मासीविसे । જે પર્યાપ્ત સાત વર્ષની આયુષ્યવાળા કર્મ ભૂમિજ પચેન્દ્રિય ગર્ભ જ તિર્થં ચ છે તે -કમશીવિષ છે? કે જે અપર્યાપ્ત સંખ્યાત વર્ષની આયુષ્યવાળા કર્મભૂમિજ પચેન્દ્રિય तिय य ते माशावि५ ? उत्तर- 'गोयमा' हे गौतन! या माना छीन।