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अमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ सू.१३ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १४७ __ यदि सूक्ष्मपृथिवीकायिकयावत् परिणतं किम् पर्याप्तकसूक्ष्मपृथिवीयावत्परिणतम्, अपर्याप्तकसूक्ष्मपृथिवीयावत्-परिणतम् ? गौतम ! पर्याप्तकमूक्ष्मपृथिवीकायिकयावत्परिणतं वा, अपर्याप्तकमूक्ष्मपृथिवीकायिकयावत्-परिणत वा, एवं एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकायके प्रयोगसे परिणत होता है ? या बादर पृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरकायके प्रयोगसे परिणत होता है ? (गोयमा) हे गौतम ! (सुहुमपुढवीकाइय एगिदिय जाव परिणए, बादरपुढविक्काइय जाव परिणए) वह एक द्रव्य सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरके प्रयोगसे परिणत भी होता है या बाद पृथिवीकायिकएकेन्द्रियके औदारिक शरीरके काय प्रयोगसे भी परिणत होता है । (जइ सुहमपुढवीकाइय जाच परिणए किं पन्जत्त सुहमपुढवि जाव परिणए, अपज्जत्त सुहमपुढवीजाव परिणए) हे भदन्त ! यदि वह एकद्रव्य सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीरल्प कायप्रयोगसे परिणत होता है तो क्या वह पर्याप्त सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीररूपकायप्रयोगलेपरिणत होता है या अपर्याप्त सूक्ष्मप्रथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिक शरीर रूपकायप्रयोगसे परिणत होता है ? (गोयमा ! पजत्तसुहमपुढविकाइय जाव परिणए वा, अपज्जत्त सुहुभपुढविकाइय परिणए) हे गौतम ! वह एकद्रव्य पर्याप्तक सूक्ष्मपृथिवीकायिक एकेन्द्रियके औदारिकशरीररूपकायप्रयोग से भी परिणत होता है, और अपर्याप्त सूक्ष्मपृथिवीकायिक (गोयमा !) 3 गीतम! (मुहुम पुढविक्काइय एगिदिय जाव परिणए, वादर पुढविक्काइय जाव परिणए) ते मे द्रव्य सूक्ष्म पृथ्वायि मेलेन्द्रियना मोहारि શરીરકાય પ્રોગથી પણ પરિણત હોય છે અને બાદર પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક शरीरना पयप्रयोगथा ५१ परिणत हाय छ (जइ सुहम पुढविकाइय जाव परिणए कि पज्जत्त मुहमपुढवि जाव परिणए, अपज्जत्त सुहुम पुढवि जाव परिणए ?) હે ભદન્ત ! જે તે એક દ્રવ્ય સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાર્ષિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરરૂપ કાયપ્રયોગથી પરિણત થતું હોય, તે શુ તે પર્યાપ્ત સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરરૂપ કાયપ્રોગથી પરિત થાય છે, કે અપર્યાપ્ત સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના मौ२ि४ शरी२३५ ४।यप्रयोगथा परियत थाय छे ? (गोयमा ! पज्जत्त सुहुम पुढविकाइय जाव परिणए वा, अपज्जत्त सुहम पुढविकाइय परिणए.) 3 गीतमा ते એક દ્રવ્ય પર્યાપ્ત સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના દારિક શરીરરૂપ કાયપ્રયોગથી પણ પરિણત થાય છે, અને અપર્યાપ્ત સક્ષમ પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિયના ઔદારિક શરીરરુપ