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प्रमेयचन्द्रिका टीका. श.७. उ.३ सू.५ वेदनानिर्जरास्वरूपनिरूपणम् . ४६३ समये वेदयन्ति, अन्यस्मिन् समये निर्जरयन्ति, अन्यः स वेदनासमयः, अन्यः स निर्जरासमयः, तत् तेनार्थेन यावत्-न स वेदनासमयः । नैरयिकाणां भदन्त ! यो वेदनासमयः स निर्जरासमयः, यो निर्जरासमयः स वेदना समयः ? गौतम ! नायमर्थः समर्थः। तत् केनार्थेन एवमुच्यते नैरयिकाणां यो वेदनासमयः, नो स निर्जरासमयः, निर्जरासमयः यो नो स वेदनासमयः ? गौतम ! नैरयिकाः खलु यं समयं वेदयन्ति नो तं समयं निर्जरकरता है । इस तरहसे (अन्ने से वेयणासमए, अन्ने से णिज्जरासम्मए से तेणणं जाव न से वेयणासमए) वेदनाका समय वह भिन्न है
और निर्जराका समय वह भिन्न है। इस कारण हे गौतम ! मैंने ऐसा कहा है कि यावत् जो वेदनाका समय है वह निर्जराका समय नहीं है (नेरइया णं भंते ! जे वेयणासमए, से णिज्जरालमए, जे णिज्जरासमए से वेयणासमए) हे सदन्त ! क्या यह बात है कि नारकजीवॉका जो वेदनाका समय होता है वही निर्जरा समय होता है
और जो निर्जराका समय होता है वही वेदनाका समय होता है.? (गोयमा) हे गौतम ! (णा इणढे सम) यह अर्थ समर्थ नहीं है। (से केणटेणं एवं वुच्चइ, नेरयाणं जे वेयणासमए न से णिजरासमए, जे णिज्जरासमए न से वेयणासमए) हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारण से कहते हैं कि नारकोंका जो वेदनाका समय है वह निर्जराका समय नहीं है और जो निर्जराका समय है वह वेदनाका समय नहीं है ? (अन्ने से वेयणसमए, अण्णे से णिज्जरासमए) मा रीते वहनन। समय ५५ भिन्न छ भने नि ४२वान। समय लिन्न छ (से तेणटेणं गोयमा! जाव नसे
वेयणासमए) गीतमा ते ४ मे मे ४ह्यु छ ॐ वहनाना र समय छ त निशनसभय नथा, मन निशनारे समय छ त वहनना समय नथी (नेरडयाणं भंते ! जे वेयणासमए, से णिजरासमए जे निर्जरा समए से वेयणासमए ?) હે ભદન્ત! શું એ વાત ખરી છે કે નારક અને કર્મવેદનને જે સમય હોય છે, એજ નિર્જરાનો સમય હોય છે, અને જે નિર્જરાને સમય હોય છે, એજ કર્મવેદનને समय छ ? (गोयमा !) गौतम ! (णो इणहे समढे) मे समयी शतु नयी . (से केणटेणं एवं वुच्चइ, नेरइयाणं जे वेयणासमए न से णिज्जरासमए,
जे णिज्जरासमए न से वेयणासमए ?) Bet-d! मा५ । ४२ मे ४ છે કે નારને જે વેદનાને સમય છે તે નિર્જરાને સમય નથી અને જે નિજારાને समय.छे ते नाना समय नयी ? (गोयमा !) गौतम ! (नेरइयाणं जं समयं