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भगवतीसूत्रे यो वेदनासमयः स निर्जरासमयः, यो निर्जरासमयः स वेदनासमयः ? नायमर्थः समर्थः, तत् केनार्थेन एव मुच्यते-यो वेदनासमयः नो स निर्जरासमयः, यो निर्जरासमयः नो स वेदनासमयः ? गौतम ! यं समयं वेदयन्ति, नो तं समयं निर्जस्यन्ति, यं समय निर्जस्यन्ति नो तं समयं वेदयन्ति, अन्यस्मिन् भी जानना चाहिये। (ले गुणं भंते ! जे वेयणासमए से णिज्जरासमए, जे णिज्जरालमए से वेयणासमए) हे भदन्त ! क्या यह निश्चित बात है कि जो वेदनाका समय है वही निर्जराका समय है और जो निर्जराका समय है वही वेदनाका समय है ? (णो इणढे समढे) हे गौतम ! यह अर्थ समर्थ नहीं है। (ले केणठणं भंते ! एवं बुच्चइ, जे वेयणासमए न ले णिज्जराससए, जेणिजराललए न से वेयणासमए) हे भदन्त -! ऐसा आप किस कारणले कहते हैं कि जो वेदनाका समय है वह निर्जराका समय नहीं है और जो निर्जरा होनेका समय है वह वेदनाका समय नहीं है ? (गोयमा) हे गौतम ! (जं समयं वेदेति, णो तं समय णिज्जतिज समयं णिज्जरेंति, णोतं समयं वेदेति, अन्मम्मि समए वेदेति अन्नम्मि समए णिजरेंति) जीव जिस लमयमें कर्मका वेदन करता है उस समय में वह उसकी निर्जरा नहीं करता है, और जिस समयमें वह उसकी निर्जरा करता है उस समयमें बह उसका वेदन नहीं करता है । भिन्न समयमें वेदन करता है और भिन्न समयमें निर्जरा
'से गुणं भंते ! जे वेयणासमए से निज्जरासमए, जे णिज्जरासमए से वेयणा समए ?) ले महन्त! शुन्ये वात भरी छ रे नाना समय हाय छ, એ જ નિર્જરાનો સમય હોય છે, અને જે નિર્જરાનો સમય હોય છે, એ જ વેદનાને समय होय छे? (गोयमा! या इण। समते) हे गौतम ! मेवु सनवी શકતું નથી. ____ 'से केणटेणं अंते ! एवं बुच्चइ, जे वेयणासमए न से णिजरासमए, जे णिजरासमए न से वेयणासमए ? "..त! मे मा५ ॥ ४॥२0 ४ छ। 3 જે વેદનાને સમય છે તે નિર્જરાનો સમય નથી અને જે નિર્જરા થવાનો સમય છે ते वेदनान समय नथी ? (गोयमा !) गीतम! (जं समयं वेदेति
णो तं समयं णिज्जरेंति, जं समयं णिज्जरे ति, णो तं समयं वेदेति, • अन्नम्मिसमए वेदंति, अनम्मिसमए णिज्जर ति) ७५ समये भनु वेहन ४२ छे તે સમયે કર્મની નિર્જરા કરતે નથી, અને જે સમયે કર્મની નિર્ભર કરે છે તે સમયે તે તેનું વેદન કરતો નથી. તે ભિન્ન સમયે વેદન કરે છે અને ભિન્ન સમયે નિર્જ કરે છે.