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________________ - - - १५२. भगवतीयो गौतमः पृच्छति 'दीवसमुदाणं भंते ! , केवइया नामधेज्जेटिं पणत्ता ?' हे भदन्त ! द्वीप-सम्मुद्राः खल कियद्भिः नाम धेयैः प्रज्ञप्ताः ? द्वीपानां समुद्राणां च कियन्ति नामानि मज्ञप्तानि ? इति प्रश्नः, भगवानाह'गोयमा ! जावइया लोए सुभानामा' हे गौतम ! यावन्ति लोके शुभानि स्वस्तिक-श्रीवत्सादीनि नामानि 'सुभारूवा, मुभागंधा, मुभारसा, मुभाफामा' शुभानि शुक्ल-पीतादीनि, देवादीनि वा रूपाणि, शुभाः गन्धाः सुरभिगन्धभेदाः, सुगन्धवन्तः कर्पूरादयो वा, शुभाः मधुरादयो रसाः, रसवन्तः शर्क-रादयो बा, शुभाः मृदुप्रभृतयः स्पर्शाः मृदुस्पर्शवन्तो नवनीतादयो वा सन्ति नहीं है फिर भी सामान्य वायुका सद्भाव तो सर्वत्र है ही अतः इन बाहर के समुद्रों में तरङ्गोंका उत्थान प्रकट किया गया है । अब गौतमस्वामी पूछते है कि 'दीवसमुदाणे भंते ! केवइया नामधेज्जेहिंपण्णत्ता' हे भदन्त! द्वीप समुद्रोंके कितने नाम कहे गये है ? इसके उत्तरमें प्रभु उनसे कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! 'जावइया लोए सुभा नामा' लोकमें जितने भी स्वस्तिक-श्रीवस्त आदि शुभ शब्द हैं, 'सुभा रूवा, सुभा गंधा, सुभा रसा, सुभा फासा' तथा शुक्ल एवं पीत वगैरह सुन्दर रूपके वाचक जितने भी शब्द हैं, अथवा-देवादिकोंके सुन्दर रूप वाचक जितने भी शब्द हैं, शुभ गन्धके वाचक अथवा शुभगन्धवाले कपूर आदि पदार्थोके वाचक जितने भी शब्द हैं, मधुर आदी शुभ रसोपेत शर्करा आदि पदार्थोके वाचक जितने भी शब्द है, तथा मृदु आदि વાયુને સદભાવ તે સર્વત્ર હોય છે, તેથી આ બહારના સમુદ્રમાં તરંગાવલિને. समाव या छे गौतम २१ाभीना प्रश्न- "दीवसमुदाणं भंते ! केवइया नामधेज्जेहि पण्णता?' हे सह-al समुद्रोन ai नाम छ ? तेना उत्तर भापता महावीर प्रभु छ- "गोयमा !" उ गीतम! "जावइया लोए मुभा नामा" a४मा रेट पस्ति, श्रीवत्स मा शुम श६ छे, मुभा रुचा, सुभा गंधा, मुभा रसा, मुभा फासा" तथा ४८ (स), पात (पी), करे સુંદર રૂપના વાચક જેટલા શબ્દ છે, શુભ ગંધના વાચક અથવા શુભ ગંધવાળા કપૂર આદિ પદાર્થોના વાચક જેટલાં શબ્દ છે, મધુર આદિ શુભ રસને વાચક અથવા મધુર આદિ શુભ રસયુકત સાકર આદિ પદાર્થનો વાચક જેટલા શબ્દ છે, મૃદુ : આદિ
SR No.009315
Book TitleBhagwati Sutra Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages880
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size50 MB
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