SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 63
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवतीसूत्रे गोपचयेन उक्तापलचतुष्टयरूपसातिरेकचतुर्देशमुहूर्ता रात्रिभवति रिपरिका एवं पारसमुहुने दिवसे पष्णरसमुहुत्ता राई भत्रई' पञ्चदशमुहतों inानिर्भवति उपर्युत्तरीत्या यदा उक्तोपान्त्यमण्डलादारभ्य लिमले सूर्यः मानि तदा दिनमानापेक्षया एकमुहुर्तेहासात् पञ्चदियमी भगनि, गत्रिमाने चैकमुहूर्तयर्धनात् पञ्चदशमुहर्ता रात्रिरपि सं. जनमृहनाणन दिवसे' पञ्चदशमुहर्तानन्तरी दिवसः, 'साइ. लागाई सानिया पञ्चदशमुहर्ता रात्रिर्भवति, पूर्वापेक्षया एका मानवता से उतना ही मान गविमान में बढ गया है,इसलिये रात्रि का मान कुल चार पर अधिक कहा गया है। इसी तरह (पण्णरसमुहुत्ते दिवसे rearममुहला गई भवड)पन्द्रह मुहर्त का दिन और पन्द्रह मुहूर्त की रात्रि गानी, एमाजकलाई मो उसका तात्पर्य ऐसा है कि पूर्वोत्तरीति के अनुमार र १८. एकनी बयांसी में मंडल से लेकर ९२ यानवे मंडल मननार करना है उस मनय दिनमान में सोलह मुहर्त वाले दिनमान ही अपेक्षा एक मुहर्ग का हास हो जाता है इसलिये यहां दिनमान पन्दर मुहुर्त का होने लगता है और रात्रि भी जो कि कांदा मुटन मान की थी उसमें हासित एक मुहुर्त का समय जाना। अतः उनका मान भी पन्द्रह मुहर्त का हो जाता है। मीनार में पायरसमुहतागंन दिवसे मइरेगा पण्णरसमुहत्ता राई) दिनमान रशम पन्द्रह मुहर्त का होता है, तब रात्रिमान कुछ ६. १ २ताया शोछा समयनी वधारी थाय छ ....... :: inनन ६॥ मुइतथा ६५२ विता ....:"."..., नदिमान १४ यौभुतन गहले १४ .::- 1... भामरे पधारे थाय छे. - "मने दिसे, पण्णरममुहत्ता राई" न्यारे १५ - .::, दि . य. १५५६२ भुतनी रात्रि थाय छे. .. ., :... , पूतदत या सूर्य १८२ मेस .... . साना साना २ शुभां मा ५२ माव • . : .. . : : भुना मा १ ४ भुतन। ' ' . :: न्य, मने पास शनिनु .. .... भारतनी वृद्धि बने १५ ५४२ .... ... दि, मारेगा पण्रममुहचा राई) . .. .याय , त्या १५
SR No.009314
Book TitleBhagwati Sutra Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year
Total Pages1151
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size74 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy