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traft टोका ०५९०७ ०५ परमाणुपुद्गलान स्वरूपनिरूपणम् ५०७ भावलिकायाः असख्येय भागम् एकं यावत् - असंख्येयमदेशावगाढः । एकमदे शावगाढः खलुं भदन्त ! पुद्गलो निरेजः काळतः क्रियच्चिरं भवति ? गौतम, 1 जघन्येन एकं समयम्, उत्कर्षेण असंख्येयं कालम्, एवं यावत् - असंख्येयमदेशात्रगाढः । एकगुणकालकः खलु भदन्त ! पुद्गलः कालतः कियच्चिरं भवति ? गौतम !
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स्थान में अथवा अन्य किसी दूसरे स्थान में कब तक सकंप रहता है ? (गोमा ! ) हे गौतम ! ( जहण्णेणं एवं समयं, उक्कोसेणं आंवलियाए असंखेजड़भाग एवं जाव असंखेजपए सोगांढे ) आकाश के एक प्रदेश में अवगाढ हुआ पुद्गल कम से कम एक समय तक और अधिकी से अधिक आवलिका के असंख्यातवें भाग तक संकंप रहता है । इसतरह से यावत् आकाश के असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ हुए पुद्गल के संबंध में भी जानना चाहिये | ( एगपएसो गाढे णं भंते । पोग्गले निरेए . कालओ केवश्चिरं होह ) हे भदन्त ! आकाश के एक प्रदेश में अवगढ हुआ पुद्गल काल की अपेक्षा कितने समय तक निष्कंप रहता है ? ( गोयमा । ) हे गौतम! ( जहणणेणं एवं समयं, उक्को सेणं असंखेजकालं एवं जावं असंखेजपएसोगाढे ) आकाश के एक प्रदेश में स्थित हुआ पुद्गल काल की अपेक्षा कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक अख्यानकाल निष्कंप रहना है । इसी तरह से जो पुले आकाश के दो तीन यावत् असंख्यात प्रदेशों में अवगाढ रहता है उसके
સક'પરહે છે ? आलियाए 'असं એક પ્રદેશમાં રહેલું
એ જ સ્થાનમાં અથવા ખીજા કઈ સ્થાનમાં કયાં સુધી ( गोयंमा ! ) हे गौतम ! ( जहणेण एवं समय, उक्कोसेणं खेज्जइभाग एवं जात्र असंखेज्जपएसोग ढे ) आाशना પુદ્નલ એછામાં ઓછા એક સમય સુધી અને વધારેમાં વધારે આલિકોના અસયાતમાં ભાગ સુધી સકપ રહે છે, એ જ પ્રમાણે આકાશના અસખ્યાત पर्यन्तना अद्देशोभां रहेला युद्धस विषे पशु सभवु. ( एगपएसोगाढे ण' भतें ! पोगले निरे कालओ केवच्चिर होइ ? ) हे लहन्त ! आशना भेङ अदेशनी અવગાહનાવાળું પુદ્ગલ કાળની અપેક્ષાએ કેટલા સમય સુધી નિષ્કપ રહે છે? ( गोयमा 1 ) हे गौतम! ( जणेण एग समय, उक्कोसेण असंग्वेज्जका लंएवं जांब असखेज्जपएसोगाढे ) भागशना मे अहेशमां रहेतुं युद्धस अजनी અપેક્ષાએ એછામાં એછા એક સમય સુધી અને વધારેમાં વધારે અસ‘ખ્યાત કાળ સુધી નિષ્કપ રહે છે. આકાશના બે, ત્રણ અને અસખ્યાત પર્યન્તના મંદેર્સામાં રહેલા પુલના વિષયમાં પશુ એ જ પ્રમાણે સમજવું, -