________________
प्रेमैथचन्द्रिका टी० श० ५ उ० ४ सू० ७ देवभाषानिरूपणम्
૬૯
भाष्यमाणा विशिष्यते ? गौतम ! देवाः खलु अर्धमागध्या भाषया भापन्ते, सापि च अर्धमागधी भाषा भाष्यमाणा विशिष्यते ॥ सू० ६ ॥
6
टीका - देवाधिकारात् तद्भाषावक्तव्यतामाह - ' देवाणं भंते ' ! इत्यादि । देवाणं भंते! कराए भासाए भासंति ?' गौतमः पृच्छति - हे भदन्त ! देवाः खलु कतरया किनामिकया भाषया भापन्ते ? ' कयरा वा भाषा भासिज्जमांणी बिसिस्सइ ? ' कतरा वा किंनामिका वा भाषा भाष्यमाणा लोकै व्यहियमाणा विशिष्यते ? विशिष्टा गण्यते ? | भगवानाह - ' गोयमा ! देवाणं अद्धमागहाए देव किस भाषा में बोलते हैं ? ( कयरावा भासा भासिज्जमाणी वि सिस ) अथवा देव लोक में जिस भाषा का प्रयोग हैं उस भाषा में कौनसी भाषा विशिष्टरूप से मानी जाती है ? ( देवाणं अद्धमागहाए भसाए भासति, सावि यणं अडमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिसह ) हे गौतम! देव अर्द्धमागधी भाषा बोलते हैं और बोली जाती . भोषाओ में यही अर्धमागधी भाषा विशिष्ठ मानी जाती है ।
टीकार्थ - - देव का अधिकार होने से उनकी भाषा संबंधी वक्तव्यता का प्रतिपादन इस सूत्रद्वारा सूत्रकार कर रहे हैं- इस में गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है कि (देवाणं भंते! कराए भासाए भाति ) हे भदन्त देव किस नामकी भाषा से बोलते हैं ? तथा-' कयरावा भासा भांसिज्माणी विसिस्स ? ' कौनसी भाषा, लोकों के द्वारा बालने के काम में आने वाली भाषाओं मेंसे विशिष्ट मानी गई है ? इसके उत्तर में भगवान् गौतम से कहते हैं कि ( गोयमा ) हे गौतम ! देवाणं अंहुयी भाषा मोटो छे ? ( कयरा वा भासा भाखिज्जमाणी विसिस्सइ ) अथवा देवલેાકમાં જે ભાષાએ ખેલાય છે, તે ભાષાઓમાંથી કઇ ભાષાને વધારે મહત્ત્વની गाय छे ? (देवाणं श्रद्धमागाए भासाए भासति सा वि य णं अद्ध मागही भासा भासिज्माणी विeिrs) गौतम ! देवा अर्धमागधी भाषा मोटो छे, अने त्यां જે ભ ષાએ ખેલાય તેમાં અમારઘી જ વિશેષ મહત્ત્વની ગણાય છે. ટીકા દેવાના અધિકાર ચાલતા હૈાવાથી, સૂત્રકારે આ સૂત્રદ્વારા દેવાની ભાષાનું પ્રતિપાદન કર્યું છે
गौतम स्वाभी महावीर अलुने सेवा प्रश्न पूछे छे है (देवाणं भंते ! कराए भासा भाति १ ) डेलहन्त ! देवा ४६ लाषा मोटो छे। अने ( कयरा वा भासा भासिज्माणी विसिस्सइ १ ) सोओ द्वारा ( अथवा तेभना द्वारा ) ખેલાતી કઈ ભાષાને દેવા વિશેષ મહત્ત્વની માને છે ?
/