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भगवतीमूत्रे
मीनमहका गोवा' ह
होकर क्षेत्र से नमाउयं मोहनी पिनि आश्रित करके- अर्थात जो जिम गोमें जीन इस योनि के योग्य आपने जरता है. वा. निरि-मण-देवाउयं कपन में नेतन आयुका संध करना और मनुष्य में जाने के योग्य तो इनकी आरती कर पर जाता है कि नैनिक, निर्मग मनुष्य आयु के प्रयोजक कर्मो को पूर्वभव अर्थात जिस भय से जीवन गनियों जीव नरक आदि गतियों में जाने योग्य 'कमाणे मत्तविहं पकरेट केविन अनुज की उसे सात प्रकारका करता है वन पाने के योग्य युके करणभृत कर्मका बंध करता हुआ उपार्जन करना है ' तं जहा
योनि में जाने के मेरा के सी में
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