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" प्रथमयुगले सप्त तु शतानि द्वितीये चतुर्दश सहस्राणि । तृतीये सप्त सहस्राणि नवचैव शतानि शेषेषु ॥ १ ॥ " लोकान्ति विमानानि खलु भदन्त ! किंप्रतिष्ठितानि प्रज्ञप्तानि ? गौतम - 1 वायुप्रतिष्ठितानि प्रज्ञतानि, एवं ज्ञातव्यम् विमानानां प्रतिष्ठानम् बाहुल्योश्चत्त्रमेत्र संस्थानम्, ब्रह्मलोकवक्तव्यता ज्ञातव्या यथा जीवाभिगमे देवोदेशके यावत्हन्त, गौतम ! असकृत्, अथवाऽनन्तकृत्वः, नो चैत्र देवतया लोकान्तिकविमाकी गई है - ( पढम जुगलम्मि सत्त उ सयाणि, बीयम्मि चउदस सहस्सा, तए सप्तसहस्सा नव चैव सयाणि सेसेसु) प्रथमयुगल में सातसी देवों का परिवार है, द्वितीययुगल में १४ हजार देवों का परिवार हैं, तृतीय युगल में सात हजार देवों का परिवार है। बाकी के देवों में नौ ९. सौ देवों का परिवार है।
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( लोगंतिय विमाणा णं भंते । किं पइडिया पण्णत्ता ) हे भदन्त ! लोकान्तिक देवोंके विमानोंका क्या आधार है ? अर्थात् लोकान्तिक देवों के विमान किसके आधार पर हैं ? (गोधमा ) हे गौतम! ( वाउपडिया पण्णत्ता) लोकान्तिक देवों के विमान वायु के आधार पर हैं । ( एवं
यवं विमाणापाणं ) इस प्रकार से विमानों का प्रतिष्ठान जानना चाहिये। (बाहुल्लुच्चत्तमेव संठाणं, बंभलोयंबत्तव्वया णेयव्वा जहा जीवाभिगमे देवद्देस) विमानों का बाहुल्य इनकी ऊँचाई तथा इनका संस्थान - आकार जिस प्रकार से ब्रह्मलोक की वक्तव्यता जीवाभिगम सूत्र में जीव उद्देश में कही गई है उसी प्रकार से जानना चाहिये । (जाव हंता गोयमा ! असं अदुवा अनंतदुक्खुत्तो- णो चेव णं देवत्ताए
( पढम जुगलग्मि सत्त उ सयाणि, बोयम्मि चउदस सहस्सा, तइए, सत्तसहस्सा नवचैव सयाणि सेसेसु) पडेला युगसभां (मेना सभूडमां ) सांतसे દેવાના, ખીજા યુગલમાં ચૌદ હજાર દેવાના, ત્રીજા યુગલમાં સાત હજાર દેવાના અને બાકીનામાં નવસે દેવાના પિરવાર છે.
( लोगंतिय विमाण भंते । कि पट्टिया पण्णत्ता १ ) डेलहन्त ! લાકાન્તિ દેવાનાં વિમાન કાના આધારે રહેલાં છે ?
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( गोयमा ! ) हे गीत ! ( वांउपइठिया पण्णत्ता ) सन्ति देवानां विभानो वायुना आधार रहेसां छे. ( एवं णेयव्वं विमाणाणपट्टा) अभाऐ तेभना प्रतिष्ठान ( आधारे ) ना विषे सम (बाहुल्लु चतमेव संठाण, बंभलोयवतन्त्रया णेंयन्त्रा- जहा जीवाभिगमे देवद्देसए) विमानांनी વિશાળતા, ઊંચાઈ અને આકાર, બ્રાલેાકની જીવાભિગમ સૂત્રના જીવઉદ્દેશકમાં ईडेसी वतव्यता प्रमाणे सभवा, ( जाव होता गोयमा ! असई अदुवा अनंत