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प्रमेयचन्द्रिका टी. श. ३ उ. २. ३ चमरेन्द्रस्य पूर्वभवादि निरूपणम् ३७१ कल्पते 'मे' मम 'तं पये' तत् अशनादिकम् पथि मार्गे 'पहिआणं' पथिकेभ्यः 'दत्तए' दातुम्, प्रतिग्रहकपात्रस्य मथमपुटके भिक्षाट्टच्या माप्तमशनादिकं पथिकेभ्यो दातव्यं न तु स्वयं भोक्तव्यम् १, 'जं मे' यत् खलु अशनपानादिकम् मम 'दोचे ' द्वितीये 'पुडए पडड़' पुटके पतति 'तं' तत् अशनादिकम् ' कप्पड़ मे' कल्पते मम 'काग - सुणयाणं दलइए' काक-शुनकेभ्यो दातुम् द्वितीयपुटके प्राप्तमशनादिकम् काकशुन केभ्यो देयं दातुमुचितम् २, 'यं' यत् किलाशनादिकम् 'मे' मम 'तच्चे पुढए' तृतीयपुटके 'पड' पतति मिलति 'कप्पड़ में' कलते मम 'तं' तत् 'मच्छ - कच्छभाणं दलइत्तए' मत्स्य- कच्छपेभ्यो दातव्यम् ३, किन्तु केवलं 'जंगे' यत् खलु अशनपानादिकम् 'चउत्थ' चतुर्थे' 'डए पडड़' पुटके पतति 'कप्प' कल्पते 'मे' मम 'तं' तत् अशनादिकम् 'अप्पणा' आत्मना स्वयम् 'आहारम्' 'आहारेड़' आहार्तुम्, केवलं चतुर्थेपुटके मिलितं चतुर्थभागमात्रमशनजावेगी 'तं पंथे पहियाणं' वह अशनादिक वस्तु मैं मार्ग में पथिकों के लिये 'दलहत्तए कप्पड़' देने निमित्त मानूंगा, उसे मैं अपने उपयोग में नहीं लूंगा 'जं मे दोच्चे पुडए' तथा जो अशनादिक वस्तु मेरे पात्र के द्वितीय खाने में 'पडइ' प्राप्त होगी 'तं मे कागसुणयाणं दलइत्तए' उसे मैं काग एवं कुत्तोंके लिये प्रदान करूंगा उसे भी मैं अपने उपयोग में नहीं लूंगा 'जं मे तच्चे पुडए पडद कप्पड़ मे तं मच्छ-कच्छभाणं दलहत्तए' इसी तरह जो वस्तु अशनादिक पदार्थमेरे पात्रके तीसरें खानेमें भिक्षा प्राप्तिके रूप में मुझे प्राप्त होगी. उसे में मत्स्य एवं कच्छपों आदि जलचर जीवोंके लिये वितरण कर दूंगा - उमे भी मैं अपने उपयोग में नहीं लूंगा ' जं मे चउत्थे पुडए पड़र मे कप्पड़ अप्पणा आहारेत्तए' तथा जो अशनादिक वस्तु मेरे भिक्षापात्रना पडेला भानामां ने मद्य पहार्थनी आप्ति थथे, 'तं पंथे पहियाणं' तेहुँ पथिने (भुमाशेने) 'दलइत्तए कप्पड़' अर्थषु रीश-हु' पडेला मानाभां
डेली वस्तु भारा उपयोगभां नहीं सG. 'जं मे दोच्चे पुडए पडई' तथा ? महारने येोग्य वस्तुनी या यात्रा श्री पानामां प्राप्ति यश 'तं मे कागसुणणं दलइत्तए' ते हुँ झगडा भने तराने अर्पण रीश तेने पशु भारा आहार भाटे वापरीश नहीं'. 'जं मे तच्चे पुढए पडइ कप्पड़ मे तं मच्छकच्छभाणं दलइत्तए' મારા ભિક્ષાપાત્રના ત્રીજા ખાનામાં મને જે આહારને ચેગ્ય પદાર્થ ની પ્રાપ્તિ થશે, તે હુ માછલાં, કાચમા આદિ જળચર જીવાને અણુ કરીશ તેને પણ મારા આહાર तरीडे उपयोग नहीं' ४३. ‘जं मे चउत्थे पुडए पडड़ में कप्पड अप्पा आहारेत्तए'