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________________ दीक्षा:-- देहलोमें साधू संतों का आगमन प्रायः सदैव रहा है । चांदनी चौक, वारा शिदरीमें उस समय परम पूज्य, चारित्र चूडामणी, युग प्रधान मुनिवर श्री मयारामजी महाराज के परम प्रतापी शिष्य, श्रद्धेय, गणावच्छेदक, श्री छोटेलाल जी महाराज विराजमान थे। उन्ही के श्री चरणोंका आश्रय श्री मौजीरामजीको मिला । विक्रम संवत १९७१ भाद्रपद कृष्ण दशमी के दिन वामनौली, जिला मेरठ (उ० प्र०) में बड़ो धामधुमसे दीक्षा हुई। उन्हें श्री छोटेलालजी महाराजके शिष्य बहुश्रुत श्री नाथूलाल जी महाराज का शिष्य बनाया गया। और उसी समय नाम परिवर्तन के साथ २ मौनीरामजी से बदल कर आप श्री मदनलालनी महाराज बन गये। विनय-भक्ति तथा वुद्धि-प्रतिभा विनय-भक्ति, तप-संयम, तथा स्वाध्याय-ध्यानमें माण पणसे जुटे रहते थे। बुद्धिप्रतिभा तथा धारणाशक्ति बडी प्रखर थी । ६० गाथाएँ (श्लोक) एक दिन में याद कर लेते थे। आगमों का ज्ञान प्राप्त करके बहुश्रुत वने । माकृत भाषा पर आपका प्रभुत्व था । मुखसे जो शब्दावली निकलती थी, वह बडी शुद्ध तथा प्रभावोत्पादक होती थी। उनकी वाणी ओन था, मनमें उत्साह तथा आत्मामें थी संयमकी लहर। स्वाध्याय-संयमकी कुंजी: लगभग तीन हजार गाथाओंको स्वाध्याय वे प्रतिदिन किया करते थे। उनका यह विचार रहता था कि प्रतिवर्ष सब आगमोंका अर्थ सहित स्वाध्याय हो । प्रायः कहा करते कि " यदि श्रमण स्वाध्याय-रत रहे तो बहुत सी व्यर्थ वातोंसे बचा रहेगा । उसकी साधुतामें ररा पैदा होगा, तप संयममें रुचि बढेगी।" वाणीके जादगर-व्याख्यानवाचस्पति । ___ श्रुतसम्पन्नताके कारण वाचस्पतिजी की वाणीमें अनुभूतिकी स्निग्धता, तर्कका पैनापन और आम्थाकी गंभीरता थी। उनके व्यक्तित्वमें अद्भुत आकपण थे-वाणीकी सारगर्भिता, भाव-प्रवणता और भापाका प्रवल प्रवाह । आने श्रोताओंके तन और मन पर हुकूमत करना उन्हें खूब आता था। उनकी वाणीके वेगवान प्रवाहमें बहकर उनके श्रोता कमी करुण रसकी धारा फुटने पर वरवस रो उठते थे, और कभी हकी सतह पर थिरकते थे । वाणीके इसी जादूने पंजाब मंघ की ओरसे विक्रम सं० १९९२ में उन्हें ' व्याख्यानवाचस्पति' पदसे अभिनन्दित कराया था।
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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