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________________ १२ अचार्य और उपाध्यायके गणसे बाहर होनेके विपयका निरूपण २५ ऋद्धिवाले मनुष्य विशेषका निरूपण तीसरा उद्देशा 18 २६ अस्तिकाय के स्वरूपका निरूपण १५९-१७१ २७ इन्द्रियोंके अथको और इन्द्रिय संबंधी पदार्थों का निरूपण १७१-१८७ २८ वादर जीवविशेषका निरूपण १८७-१९१ २९ ३० ३१ ३२ ३३ ३४ ३५ मत्स्यके दृष्टान्त से भिक्षुके स्वरूपका निरूपण ३६ वनीपकके स्वरूपका निरूपण ३७ अचेलक के प्रशंसास्थानोंका निरूपण ३८ उत्कट पांच भेर्दोका निरूपण समितिके पांच प्रकारका निरूपण ३९ ४० atra स्वरूपका निरूपण ४१ वनस्पतिजीव के योनिविच्छेदका निरूपण ४२ ४३ ४४ ४५ ૪૬ ४७ ४८ ४९ सचेतन वायुका विशेष प्रकार से निरूपण करनेवाले निर्ग्रन्थका निरूपण निर्ग्रन्थोंके उपधि विशेषका निरूपण कायादिक धपकरणताका निरूपण aah स्वरूपका निरूपण aur haath ज्ञेय अज्ञेय पदार्थीके त्रिपयका कथन अधोलोक में रहे हुए एवं ऊर्ध्वलोक में रहे हुए अतीन्द्रिय भावका निरूपण पांच प्रकारके संवत्सरका निरूपण जीवका शरीर से निर्गम (निकलना) का निरूपण आयुके छेदका निरूपण आनंतका निरूपण १५१ - १५५ १५६-१५८ पांच प्रकार के अनन्तका निरूपण ज्ञानके स्वरूपका निरूपण स्वाध्याय पंचविधताका निरूपण प्रत्याख्यानके स्वरूपका निरूपण १९२-२०६ २०५-२१० २१०-२१८ २१८-२२१ २२१-२२४ २२५-२२८ २२८-२३० २३०-२३४ २३५-२३७ २३७-२३९ २३९-२४१ २४१-२४४ २४४-२४७ २४७-२५८ २५८- २६० २६०-२६२ २६०-२६२ २६४-२६७ २६७-२६८ २६९–२७० २७१-२७४
SR No.009310
Book TitleSthanang Sutram Part 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages773
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size43 MB
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