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________________ सुधा टीका स्था०४ उ०२ सू०४० दीनस्वरूपनिरूपणम् ...... ५८७ परकमे, दीणे णाममेगे अदीण ह्व ।४।१०, एवं सम्बोस चउभंगो भाणियवो, चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तंजहा दीणे णाममेगे दीणवित्ती ४, ११, एवं दीणजाई १२, दीणभासी १३, दीणोभासी१४, चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-दोणे णाममेगे - दीणसेवी ह।४।१५, दीणे णाममेगे दीणपरियाए १६, दीणे णाममेगे दीण परियाले ह।४।१७ सम्वत्थ चउभंगो॥सू ४०॥ छाया-चत्वारि पुरुपजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-दीनो नामैको दीनः १, दीनो नामैकोऽदीनः २, अदीनो नामैको दीनः ३, अदीनो नामैकोऽदीनः ४,१॥ चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-दीनो नामैको दीनारिणतः १, दीनो नामैकोऽदीनपरिणतः २, अदीनो नामैको दीनपरिणतः ३, अदीनो नामैकोऽदीनपरिणतः ४।२। ___ चत्वारि पुरुपजातानि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा-दीनो नामैको दीनरूपः ह (४) ३, जो अप्रतिसलीन कहा गया है, वह तो दीनही होता है अतः अब सूत्रकार चतुर्भट्टी द्वारा दीनका निरूपण करने निमित्त १७ सूत्रोंका कथन करते हैं। " चत्तारि पुरिसजाया पगत्ता" इत्यादिसूत्रार्थ-पुरुष चार कहे गयेहैं । दीन दीन १, दीन अदीन २, अदीन दीन३, और अदीन अदीन ४-१। पुरुषजात चार हैं। दीनदीनपरिणत १, दीन अदीनपरिणत २, अदीन दीनपरिणत ३, अदीन अदीनपरिणत ४२। पुरुषजात चार कहे गये हैं। दीन दीनरूप १, दीन अदीनरूप २, अदीन પહેલાના સૂત્રમાં જે અપ્રતિસ લીન કહેવામા આવ્યા, તે તે દીન જ હોય છે. તેથી હવે સૂત્રકાર ચતુર્ભગી દ્વારા દીનનું નિરૂપણ કરવાં માટે ૧૭ સૂત્રનું थन ४२ छे. “ चत्वारि पुरिस जाया पण्णता" त्याहि सूत्राय-या२ प्रा२ना पुरुष या छ-(१) हीन दान; (२) हीन महीन, (3) અદીન દીન અને (૪) અદીન અદીન ૧ ચાર પ્રકારના પુરુષ કહ્યા છે(१) दीन दीन परिणत, (२) हीन मी 1, परिणत, (3) महीन दीन परियत भने (४) महान महान परित. । २ । ।
SR No.009308
Book TitleSthanang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size47 MB
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