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________________ २३० स्थानालस्त्र त्रयोदशसागरोपमस्थितिका३श्चेति । प्रस्तावात्तेषां निवासस्थानानि प्रश्नोत्तरद्वारेण पाह-'कहि णं अंते' इत्यादि-त्रिएल्योपमस्थितिकाः पल्योपमत्रयस्थितिमन्तः किल्विपिकादेवा कुत्र परिवसन्ति ? भगवानाह-गौतम किल्विपिकादेवा ज्योतिरुपरि ज्योतिप्काणामुपरि सौधर्म शानयोः प्रथमद्वितीयकल्पयोरधस्तात् परिवसन्ति १ । स्त्रे पष्ठयर्थे सप्तमी प्राकृतत्वात् , एवमग्रेऽपि । त्रिसागरोपमस्थितिका देवकिल्विपिकाः सौधर्म शानयोः कल्पयोरुपरि सनत्कुमारमाहेन्द्रयोस्तृतीय चतुर्थकल्पयोरथः परिवसन्ति २ । त्रयोदगसागरोपम स्थितिकाः किल्वि. प्र.-भदन्त ! तीन पल्योपम की स्थितिवाले देवकिल्बिषिक कहां रहते हैं ? ___ उ०-वे देवकिल्यिषिक जिन्की स्थिति तीन पल्योपम की होती है ज्योतिष्क मण्डल से ऊपर और सौधर्म ईशान कल्पों के नीचे रहते हैं! प्र०-हे भदन्त ! जिन देवकिल्बिपिकों की स्थिति तीन सागरोपम की होती है वे कहां रहते हैं ? उ०-तीन सागरोपन की स्थितियाले किल्बिषिक देव सौधर्म ईशान कल्पों के ऊपर और सनत्कुमार माहेन्द्र कल्पों के नीचे रहते हैं। प्र०-हे भदन्त ! जिन किल्बिपिकों की स्थिति १३ सागरोपस की होती है वे कहां पर रहते हैं ? उ०–१३ सागरोपम की स्थितियाले किल्विषिक ब्रह्मलोक कल्प के ऊपर और लान्तक कल्प के नीचे रहते हैं। देव किरियधिक का मात्पर्य उन देवों से है कि जो देवों के बीच में मनुष्यों के बीच में પ્રશ્ન–હે ભગવન ! ત્રણ પલ્યોપમી સ્થિતિવાળા દે કયાં રહે છે ? ઉત્તર–ત્રણ પલ્યોપમની સ્થિતિવાળા કિલિબષિક દે તિષ મંડળની ઉપર અને સૌધર્મ તથા ઈશાન કમ્પની નીચે રહે છે. પ્રશ્ન–હે ભગવન્! ત્રણ સાગરોપમની સ્થિતિવાળા કિબિષિક દે ४यां २४ छ ? ઉત્તર-ત્રણ સાગરોપમની સ્થિતિવાળા કિલિબષિક દેવ સૌધર્મ અને ઈશાન કની ઉપર તથા સનસ્કુમાર અને મહેન્દ્ર કપની નીચે રહે છે. કે પ્રશ્ન- હે ભગવન ! તેર સાગરોપમની સ્થિતિવાળા કિલિબષિક દે કયાં રહે છે? : ઉત્તર-તેઓ બ્રલેક કલપની ઉપર અને લાન્તક કપની નીચે રહે છે.
SR No.009308
Book TitleSthanang Sutram Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages822
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_sthanang
File Size47 MB
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