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स्थानाङ्गसूत्रे
मूलम् - जंबू मंदरस्त पव्त्रयस्त उत्तरदाहिणेणं चुह्यहिमवंतसिहरीसु वासहरपचएस दो महद्दहा पण्णत्ता बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अण्णमण्णं णाइवहंति आयामविक्खंभोचतो हठाणपरिणाहेणं, तं जहा - पउम चेव पुंडरीयद्द हे चैव । तत्थणं दो देवयाओ महिडियाओ जाव पलिओचमट्टि इयाओ परिवसंति, तं जहा- सिरी चेव लच्छी चेव । एवं महा महाहिमवंतरूप्पीसु वासहरपव्वसु दो महदहा पण्णत्ता, बहुसम० जाव तं जहा - महापउसद हे चेद सहापोंडरयिद चेव । देवयाओ हिरो देव बुद्धी चेव । एवं निसढनीलवंतेसु वासहरare तिगिछि चेव केसरिहे चेव । देवयाओ धिई व कित्ती चेव । जंबूसंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं महाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ महापउसदहाओ दो महाणईओ पवहंति, तं जहा - रोहिया चेव हरिकंता चेव । एवं निसढाओ वासहरपवयाओ तिगिछिदहाओ दो महापईओ पवहंति, तं जहा- हरिश्चेव सीओआ चेव । जंबूमंदरस्स पद्ययस्स उत्तरेण नीलवंताओ वासहरपन्याओ केसरीहाओ दो महाणईओ पवहंति, तं जहा
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सीया चैव नारिकता चैव । एवं रुपीओ वासहरपव्वयाओ महापोंडरीयदहाओ दो महाणईओ पवहंति तं जहा णरकंता चैव रुष्पकूला चेव । जंबूमंदररूस पव्वयस्स दाहिणेणं भारहेवासे दो पवायद्दहा पण्णत्ता बहुसम० जाव तं जहा- गंगप्पवायद हे वेव सिंधुष्पवायद हे चेव । एवं सवएवासे दो पायद्दहा पण्णत्ता,