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सुधा टीका स्था० २ ० १ ० ४ कियादीनां द्वित्यनिरूपणम् कियायां सन्यामेव भात्मानोबन्धादयो मान्तीति क्रियाया हिमत्यवतारत्वमाइ
मूलम्-दो किरियाओ पन्नताओ, तं जहा-जीवकिरियाचेव अजीवकिरियाचेद। जीवकिरिया दुविहा पन्नत्ता, तं जहासम्मत्तकिरिया चैव मिच्छत्तकिरिया चेव । अजीवकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-इरियावाहिया चर संपराइगा चेव । दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-काइया चेव अहिंगराणिया चेव। काइया किरिया दुविहा पण्णता, तं जहा-अणुवरयकाय. किरिया चेव दुप्पउत्तकायकिरिया चेव । अहिगरणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं!जहा-संजोयणाहिगरणिया चेव णिव्वत्तणा हि गरणिया। दो किरियाओ पपणत्ताओ तं जहा-पाउसिया चेव पारियावणिया चेव । पाउसिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाजीवपाउसिया व अजीवपाउसिया चेव। पारियावणिया किरिया दुविहा पण्णत्ता, तंजहा-सहत्थपारियावणिया चेव परहत्यपारियाव णिया चेव । दो किरियाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-पाणाइवायकिरिया चेव अपञ्चक्खाणकिरिया चेव । पाणाइवायकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपाणाइवायकिरिया चेव परहस्थपाणाइवायकिरिया चेव । अपचक्खाणकिरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव अजीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव ।दो किरियाओ पण्णताओतं जहा-आरंभिया घेव परिग्गहिया चेव । आरंभिया किरिया दुविहा पण्णत्ता,तं जहाजीव आरंभिया चेव अजीव आरंभिया चेव। एवं परिग्गहिया वि।
बा २७