________________
..
u
m
r
-
.
-
.-
--
-
-
-
--
-
आंधाराङ्गो शिवस्थानमिति - ऋजुः - विपमभावरहितत्वाद दुष्प्रणिहितमनोवाकायनिरोधरूपः संयमः, स कताअनुष्ठितो येन स ऋजुकृत:-मनोवाकायजन्यसकलसावधक्रियानिहत्त इत्यर्थः । ।
यद्वा-संपूर्णसंवरस्वरूपसंयमेन संयमिना मोक्षस्थानगमनाथै ऋजुगतिः प्राप्यते, तत्र ऋजुगतेः कारणं संयम इति कारणे कार्योपचारात्समदशविध संयमोऽपि ऋजुरित्युच्यते, स कता-समाचरितो येनासी प्रजुकृतः कृतसंपूर्णसंयमानुष्ठान इत्यर्थः । .
वाला ऋजु फहलता है । अथवा आत्मा को शाश्वत मोक्षस्थान पर पहुँचाने वाला ऋजु कहलाता है । अथवा ऋजु का अर्थ है-संयम । मन, वचन, काय के खोटे व्यापार को रोकनारूप संयम है । जिस ने एसा व्यापार रोक दिया है वह भाजुकृत कहलाता है । अर्थात् जो मन, वचन और काय से होने वाली समस्त सावध क्रियाओं से निवृत्त हो गया हो वह 'अजुकृत' है।
अथवा- सम्पूर्णसंवररूप संयम के द्वारा संयमी मोक्ष में गमन करने के लिए ऋजुगति प्राप्ति करता है । इस ऋजुगति का कारण संयम है । अतः कारण में कार्य का उपचार करने से सत्रह प्रकार का संयम भी 'ऋजु' कहलाता है। उस 'ऋजु' अर्थात् संयम का जिसने आचरण किया हो वह 'ऋजुकृत' कहलाता हैं। तात्पर्य यह है कि पूर्ण संयम का अनुष्ठान करने वाला ऋजुकृत है।
વાળા નું કહેવાય છે. અથવા આત્માને શાશ્વત માક્ષસ્થાન પર પહોંચાડવાવાળા
કહેવાય છે. અથવા જુને અર્થ છે સંયમ-મન, વચન અને કાયના ખોટા व्यापारने २४५। ३५ संयम छ.गरी सेवा व्यापार सही माया छ'ऋजुकृत' કહેવાય છે. અર્થાત્ જે મન, વચન અને કાયાથી થવાવાળી સમસ્ત સાવધ ક્રિયાसाथी निवृत्त 45 गया डाय ते जुक्त छ. . .
અથવા–સંપૂર્ણસંવર&ય સંયમ દ્વારા સંયમી માં ગમન કરવા માટે જગતિ પ્રાપ્ત કરે છે. તે જુગતિનું કારણે સંયમ છે. તેથી કારણમાં કાર્ય ઉપચાર કરવાથી સાર (૧૭) પ્રકારનો સંયમ પણ “ઝુ” કહેવાય છે તે જુ यात संयभनु भा५२६ ४थुछ व 'जुकृत' ४३वाय . तात्पर्य है f-संयम अनुष्ठान ३२५वा अजुकृत' . . .