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पंचम अध्याय सिद्धत्व-पथ : गुणस्थानमूलक सोपान क्रम
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३०४ ३०४
३१४ ३१४
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परमलक्ष्योन्मुखी उपक्रम गुणस्थान का स्वरूप गुणस्थान का विस्तार आधार मिथ्या दृष्टि गुणस्थान ग्रंथी-भेद अपूर्वकरण स्वर्णिम-वेला सम्यक्त्व का व्यावहारिक पक्ष गुरु का वैशिष्ट्य मिथ्यात्व के दस भंग सम्यक्त्व के दस भंग सम्यक्त्व के विविध पक्ष श्रद्धान
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३०६ ३०७ ३०८ ३०९
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दूषण-त्याग शंका कांक्षा विचिकित्सा प्रभावना कवित्व-प्रभावना सम्यक्त्व के भूषण जिन शासन में कुशलता प्रभावना तीर्थ-सेवा स्थिरता भक्ति सम्यक्त्व के पाँच लक्षण शम संवेग निर्वेद अनुकंपा आस्तिक्य- आस्था यतना के छ: रूप वंदना
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३१० ३१०
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३११
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लिंग
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विनय स्थविर-विनय कुल-विनय गण-विनय संघ-विनय स्वधर्मी-विनय क्रियावान्-विनय शुद्धि
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नमस्कार
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आलाप संलाप
३१९ ३१०
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