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________________ رن ܡ १० २० १२ وں १९ २ ܡ ww १ १ 4 ७ आगम: आप्त-परंपरा जीवन का परम साध्य : मोक्ष आचारांग सूत्र में सिद्ध का स्वरूप सूत्रकृताग-सूत्र में मोक्ष की महत्ता - सिद्धत्य की गरिमा मोक्षाभिमुख साधक की भूमिका | मोक्ष प्राप्ति की सुलभता : दुर्लभता मोक्ष प्राप्त महापुरुष उनका स्थान स्थानांग सूत्र में मोक्ष का अस्तित्त्व सिद्ध-पद : वर्गणा तृतीय अध्याय आगमों में सिद्धपद का विस्तार मुक्त अमुक्त विश्लेषण भव्य - सिद्धिक : अभव्य - सिद्धिक सिद्धि की एकरूपता द्विपदाबतार आख्यान - सिद्धगति की ओर क्रमश: प्रयाण सिद्धायतन-कूट : स्पष्टीकरण | समवायांग-सूत्र में मोक्ष का विवेचन भवसिद्धिक जीवों द्वारा सिद्धत्व प्राप्ति सिद्धत्व - पर्याय का प्रथम समय गुण भगवान् महावीर द्वारा सिद्धत्व प्राप्ति सिद्धत्व-परंपरा प्रदेशावगाहना सिद्ध गति : विरहकाल व्याख्याप्रज्ञप्ति - सूत्र में १५० १५० १५२ १५३ १५४ १५७ १५८ १५९ १५९ १६० १६१ १६२ १६३ १६३ १६४ १६६ १६७ १७० १७१ १७१ १७३ १७४ 23 णमोक्कार मंत्र : मंगलाचरण णमो सिद्धाणं सिद्ध-पद का निर्वाचन सिद्धत्व प्राप्ति: शंका समाधान असंसार समापन्नक : सिद्ध सिद्धजीव : वृद्धि हानि-अवस्थिति कालमान सिद्धों का वृद्धि क्रम सिद्धों के सोपचयादि का निरूपण सिद्ध जीवों की गति सोच्चा- केवली और सिद्धत्व सिद्धों का संहनन भवसिद्धिक जीवों का सिद्धत्व केवली तथा सिद्ध का ज्ञान मोक्षसूचक स्वप्न सिद्धों के प्रथमत्व - अप्रथमत्व की चर्चा माकंदी पुत्र के सिद्धत्व विषयक प्रश्न उपासक दशांग सूत्र में सिद्धत्व प्राप्ति का संसूचन अंतकृद्दशांग सूत्र में सिद्धत्व प्राप्ति के विलक्षण उदाहरण गजसुकुमाल अर्जुनमाली प्रश्नव्याकरण - सूत्र में १७४ १७५ १७६ १७६ १७८ १८० १८४ १८५ १८५ १८७ १८९ १९० १९२ १९४ १९४ १९६ १९७ १९७ १९७ १९८
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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