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णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन
HamalanimalaswayamsaneliKAMAYE HिOTOLADMAVA RNATASKAR
णमोक्कार मंत्र और तदनुस्यूत साधना-पथ का अंतिम लक्ष्य सिद्धावस्था है। सिद्ध प्रणम्य और अभिवन्द्य हैं। वह प्रणम्यता अन्त:स्फूर्ति के अमृत कणों से संसिक्त है।
वन्दनीय, नमनीय सिद्ध-परमात्मा का जैन-आगमों में विविध अपेक्षाओं से विस्तृत वर्णन है। तृतीय अध्याय में सिद्धत्व विषयक आगमगत विवेचन का विश्लेषण, समीक्षण करने का प्रयास रहेगा।
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