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________________ णमो सिद्धाणं पद : समीक्षात्मक परिशीलन । ERSIANE । REA HIROENISHALA EmaiISTRICTCH णमोक्कार मंत्र और रंग-विज्ञान का सामंजस्य आज विज्ञान का युग है। अनेक विषयों पर प्रयोग और गवेषणाएँ हो रही हैं। नये-नये तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं। परमाणुवाद तथा वनस्पति-जगत् आदि के संबंध में वैज्ञानिकों की लंबी खोजों के बाद जो तथ्य उद्घाटित हुए हैं, उनमें से अनेक उन तथ्यों को प्रमाणित करते हैं, जो सहस्रों-सहस्रों वर्ष पूर्व वीतराग सर्वज्ञ महापुरूषों ने व्यक्त किये थे। विज्ञान की अन्वेषणात्मक गति अप्रतिहत है। वह कभी रुकती नहीं, इसलिये जैसे-जैसे विज्ञान और अधिक प्रगति करता जायेगा, आशा है आगमों में प्रतिपादित अनेक सिद्धांत वैज्ञानिक दृष्टि से भी तथ्यपूर्ण सिद्ध होते जायेंगे। आधुनिक विज्ञान में रंगों पर भी अन्वेषण होते आ रहे है। यह विज्ञान का एक स्वतंत्र विषय बन चुका है। रंग-विज्ञान की दृष्टि से यदि नवकार मंत्र पर चिंतन किया जाए तो अनेक महत्त्वपूर्ण तथ्य प्रकाश में आ सकते हैं। णमोक्कार मंत्र के पाँच पदों के क्रमश: पाँच वर्ण हैं। श्वेत, रक्त, पीत, नील। या हरित् तथा कस्तूरीवत् कृष्ण। एक-एक पद का अपना एक-एक रंग है। णमोकार मंत्र की आराधना अनेक रूपों में की जाती है। बीजाक्षरों के साथ भी की जाती है। एक-एक पद की एक-एक | चैतन्य केंद्र में भी की जाती है। तथा वर्णों या रंगों के साथ भी की जाती है। ___Dr.R.K. Jain ने "A Scientific Treatise on Great Namokar Mantra" नामक पुस्तक में "The Namokar Mantra & The Colour Therapy" शीर्षक के अन्तर्गत रंग-विज्ञान पर साधना के संदर्भ में | वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन किया है, जो मननीय है।' अध्यात्म-साधना का उद्देश्य आत्म-जागरण है। आत्म-जागरण का उद्देश्य है- चैतन्य का जागरण, आनंदका जागरण, शक्ति का जागरण, अपने परमात्मस्वरूपका जागरण, अर्हत्-स्वरूप का जागरण । आत्म-जागरण बहुत व्यापक शब्द है। अनेक शाखाएं हैं, अनेक स्तर हैं। एक मनुष्य अपने शरीर को स्वस्थ या निरोग रखने के लिये औषधि लेता है। यह समग्र दृष्टिकोण है किन्तु जब किसी के घुटने में, दाँत में, कमर में, कान में या आँख में दर्द होता है, तब वह भिन्न-भिन्न औषधियाँ लेता है। इन बीमारियों के आधार पर इनके विशेषज्ञ, चिकित्सक भी हैं इसी दृष्टि से हम णमोक्कार मंत्र की उपासना पर विचार करें। CHISRUN P RASTRI १. (क) बहुआयामी महामंत्र णमोकार, पृष्ठ : ५४. (ख) नमस्कार महामंत्र महात्म्य, पृष्ठ : ४३. २. A Scientific Treatise on Great Namokar Mantar, Page : 33. 103
SR No.009286
Book TitleNamo Siddhanam Pad Samikshatmak Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmsheelashreeji
PublisherUjjwal Dharm Trust
Publication Year2001
Total Pages561
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size53 MB
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