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अस्तु, मैंने अपने द्वारा स्वीकृत विषय पर जैन आगम, दर्शन, अन्यान्य शास्त्रों तथा आधुनिक भाषाओं में लिखित दार्शनिक ग्रंथों का गहन अध्ययन करते हुए तात्त्विक दृष्टि से निष्कर्ष के रूप में जो प्राप्त किया, वह इस शोध-ग्रंथ में अभिव्यक्त है।
यह ग्रंथ सात अध्यायों में विभक्त है। जैन संस्कृति, धर्म, दर्शन, श्रुत, णमोक्कार महामंत्र इत्यादि विषयों का मैंने पारिपार्श्विक रूप में संक्षेप में वर्णन करते हुए सिद्ध-पद के बहुमुखी आयामों का अनुसंधानात्मक भूमिका के साथ विशद विवेचन किया है।
णस्थानों के आध्यात्मिक सोपान-क्रम तथा जैन योग के आधार पर सिद्धत्व-प्राप्ति के मार्गों का भी इस ग्रंथ में विश्लेषण किया गया है। एक ही लक्ष्य तक ले जाने वाले ये विविध पथ हैं, जो पृथक्-पृथक् रुचिशील साधकों के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
गुणस्थानों का क्रम आत्मस्वरूप के उद्घाटन का एक दार्शनिक एवं मनोवैज्ञानिक मार्ग है, जहाँ विभाव से आगे बढ़ता हुआ भव्य मुमुक्षु जीव अपने लक्ष्य के समीप पहुँच जाता है। आत्म-पराक्रम की प्रबलता बढ़ती है तथा वह अपने ध्येय को प्राप्त कर लेता है।
जैन योग की पद्धति चित्तवृत्ति के नियंत्रण या निरोध के सहारे अग्रसर होती है। चित्त का निरोध करने में साधक को बहुत बल लगाना होता है, क्योंकि चित्त बड़ा चंचल और अस्थिर है, किंतु जीव तो अनंत शक्ति का स्वामी है। जब उसकी शक्ति प्रस्फुटित हो जाती है, तब उसके लिए कुछ भी दुष्कर नहीं होता। वह विशाल सागर को भी तैर जाता है। ___योग, आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है। आचार्य हरिभद्र सूरि ने कितना अच्छा कहा हैचित्त-निरोध रूप योग द्वारा मानसिक, वाचिक एवं कायिक योगों, प्रवृत्तियों का निरोध कर, नाश कर, मानसिक, वाचिक, कायिक योगविहीन क्रियाशून्य अवस्था प्राप्त करना योग है, जो जीवन का परम साध्य है। जैन योग की दृष्टि से सिद्धत्व-प्राप्ति की दिशा में यहाँ विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है।
विभिन्न धर्मों में परमात्म-पद के संदर्भ में विस्तार से चर्चा आई है। उपनिषदों में परब्रह्म, परमात्मा आदि के रूप में तद्विषयक बहुविध विवेचन हैं।
बौद्ध-परंपरा के अंतर्गत हीनयान और महायान के आचार्यों ने परिनिर्वाण का अनेक प्रकार से विवेचन किया है।
निर्गुणमार्गी संतों तथा सूफियों ने भी अपनी विशेष शैली में इस तत्त्व को व्याख्यात किया है। उन सबका निष्कर्ष उपस्थित करते हुए , उस पर समीक्षात्मक दृष्टि से प्रस्तुत ग्रंथ में विचार प्रगट किए गए हैं।
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