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गतियां चार
एक जीव की गतियां चार, नारकी, त्रियंच, देव, मनुष्य हैं गतियां चार
सिद्ध गति ही जाने गतियां चार पांचवां निज सिद्ध स्वरूप ही आधार.
एक जीव के कषायों चार, . कषायों चार मोह, माया, क्रोध, लोभ हैं, कषाय चार पूर्ण वीतराग ही जाने इन सबको चार पांचवां वीतराग स्वरूप ही है आधार.
एक जीव
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एक जीव के भाव हैं चार, भाव हैं चार औदायिक, क्षयोपशम, उपशम, क्षायिक हैं चार ज्ञायक भाव ही जाने यह भाव चार पांचवां परमपारिणामिक भाव ही आधार.
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