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मैं स्वभाव से ही ज्ञानस्वरूप शांत सुखमय परिपूर्ण हूं पुद्गल का ज्ञान संयोग ही है और मेरा कहलाता है मेरा हर समय भी तो उस समय का पूर्ण सत ही है यह तो मेरा ही अनादि का अज्ञान है कि मैं इस को ही मेरा ज्ञान समझ बैठा हूं मैं एक समय का नहीं मैं ज्ञान त्रिकाल शाश्वत शुद्ध अमाप वीतराग शांति आनंद से भरपूर ज्ञान तो ज्ञान ही है.
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