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ज्ञान बहता केवल ज्ञान में ही
पानी तो केवल पानी से ही मिलता है नदियां, झरने बहते पहाड़ों में से ही हैं बूंद बूंद बनते झरने और झरने बने नदियां नदियां ही जा मिल बनायें समुद्र को ही
पानी तो केवल पानी से ही मिलता है पानी बहता पहाड़ों से और बहता जाता कई खेतों से, मैदानों से भी फिर भी बहते बहते मिलता तो समुद्र से ही.
पानी तो केवल पानी से ही मिलता है ज्ञान भी तो मिलता केवल ज्ञान से ही ज्ञान ही अज्ञान में भी बहता रहे अथवा अनंत नयों में भी बहता रहे फिर भी.
ज्ञान तो इन्द्रिय ज्ञान भी इकट्ठा होकर मनबुद्धि के अनंत विकल्प भी इकट्ठा होकर एक निर्विकल्प, निरपेक्ष, अतीन्द्रिय, नयातीत अखंड, अभेद, केवल ज्ञान में ही जा मिले.
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