________________
गुरू मिले
गुरु मिले हैं, जिनवाणी का सहारा मिला है अशरीरी बनने के लिये हिम्मत जगाये ऐसा उपदेश मिला है गुरु ने ही इस शरीर में ही एक रतनमणि सत को स्वयं में जानकर ही मुझे बताया है मैं तो खुद ही सम्पूर्ण हूं
गुरु मिले हैं, जिनवाणी का सहारा मिला है अशरीरी बनने के लिये हिम्मत जगाये, ऐसा उपदेश मिला है मेरे मैं पूर्ण निष्क्रिय ज्योति अनंत शक्तियों का पिंड रूप अक्षय, त्रिकाल रूप है, इसीका शरण है, साथ है, संग है और गुरु की वाणी का ही सान्निध्य भी है.
गुरु मिले हैं, जिनवाणी का सहारा मिला है अशरीरी बनने के लिये हिम्मत जगाये ऐसा उपदेश मिला है अहोभाग्य मेरे मुझे इस भव में गुरु मिले, गुरुदेवने ही मुझे इस संसार से निकाला है इच्छाओं में डूबे को अबाध सुख लुटाया है मैं हूं खुद ही खुदा का विश्वास जगाया है.
177