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कहानियां
कहानियां हम सुनते हैं, महापुरुषों की, स्त्रियों की यह कथायें जीव के एक जीवन की ही कथायें हैं न जीव के तत्समय की योग्यता को ही बताती हैं न अनंत जीवों की कितनी अनंतानंत कथायें, कहानियां.
कोई भी विषय का अध्ययन करें तो उस विषय के महान व्यक्तियों की कथायें हम जानते हैं, सुनते हैं महान जीवनों से प्रभावित होकर उनके जैसा हमारा भी जीवन हो, ऐसे भावों से भावित हो उठते हैं.
एक ही ऐसा महान जीव कहो, उसकी वाणी ही कहो सच्ची जिनवाणी ही कहो. उसने भी कहानियां तो खूब सुनाई, पर इन कहानियों को पुरुष से भिन्न बताईं पुरुष तो एक त्रिकाल सत और कहानियां कुछ समय की.
कहानियां बदलती ही रहती हैं, जितनी, जिस विषय की चाहियें उतनी अवश्य ही मिलती हैं, यही अनंतानंत संसार है पुरुष तो एक ही है, अभेद, अखंड कौन कर सके इस पुरुष की बात, पूज्य गुरुदेव के सिवाय, उन्हीं का यह नाद था.
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