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पहाड़ों बीच सुरक्षित, नदी में शीतल कईयों बीच अकेला और अकेले में प्रभु संग ही मैं, मुझ संग प्रभु ही है मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हूं.
बचपने में निर्मलता, पागलपन में कोई भय नहीं, जवानी में भी उल्लास के साथ ही वज्र, स्थिर, एकरूप उमड़ता स्वरूप है मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हूं.
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