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प्रभु संग
प्रभु तेरा साथ ही मेरा अविनाशी साथ है अब कोई भी संयोग, परिस्थिति, घटना हो मुझे मेरे साथ से अलग ही नहीं करता मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हूं.
घटनायें बाहर ही हैं, शुभाशुभ भाव भी बाहर ही रह जाते हैं, मेरी भ्रकृटी भी विचलित ही नहीं हो पाती अब ऐसा मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हं.
भाव आते हैं पर मुझे छूते तक नहीं स्पर्श भी कर ही नहीं पाते, जो भी
जैसा भी हो रहा है सभी तभी योग्य ही है मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हूं.
सुबह शांत है, सुरमई शाम भी शांत धूप तो मुझे प्रभु संग लगती ही नहीं दिन और रात फिर दिन होते रहते हैं मैं मेरे संग ही परिपूर्ण आनंद शांतिमय हं.
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