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प्रभु तुझे भजूं तब दिखे तेरा वीतरागी, शुद्ध, ज्ञायक, चिदानंदी स्वरूप तूने प्रगट किया तेरा सर्व स्वरूप उत्कृष्ट पुरुषार्थसे, तूने तो इस असंभव को कर बताया है संभव, उस पुरुषार्थ को भजूं मैं भी तेरेसे प्रेरित हो जगा लूं मेरे पुरुषार्थ को प्रभु मेरे पुरुषार्थ को
प्रभु तुझे भजूं तब देखू तुझे स्वआत्म तत्त्व में लीन इस सारी दुनिया से दूर दूर प्रकाश ही प्रकाश में तूने ही बताया है, कि भजते भजते होना मुझे भी लीन मेरे स्वयं के आत्म तत्त्व में, होऊं मैं लीन एक क्षण को
प्रभु तुझे भजूं मैं, सच भजूं मैं, मेरा भजन सफल करूं मैं उस दिन जब पाऊं तुझे मुझमें, दुनिया सारी भूल शरीर-घर-परिवार, भूल लीन होऊं तुझ-मुझ शुद्ध तत्त्व में उसी दिन भजना मेरा सफल हो और भजूं मैं सच में
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