________________
-
ज्ञाता - दृष्टा
सभी कहते हैं कि आत्मार्थी बनना है, मोक्ष मार्ग पर चलना है तो ज्ञाता-दृष्टा बन, तू ज्ञाता - दृष्टा बन, किसका ज्ञाता - दृष्टा ? कैसे ज्ञाता - दृष्टा? और आगे फिर कौन बनता है ज्ञाता - दृष्टा ?
ये सारी दुनिया जो लगती है मुझे लुभावनी, देखने योग्य, जानने योग्य मैं इसको जानूं, अच्छी तरह जानूं, फिर देखूं, क्या यह है ज्ञाता - दृष्टा ? मेरे शरीर को भी जानूं पहचानूं, संवारुं, उसका ध्यान रखूं फिर निहारूं भी मेरे घर परिवार संबंधी और मित्रोंको भी जानूं, पहचानूं याद करूं मेरे खुदके विचारों, भावों, मन, बुद्धि की मान्यताओं को भी जानूं फिर इस संसार में तो हैं अनंत विद्याएं, इनमें से थोड़ी बहुत पसंद करके उन्हें जानूं, पहचानूं, उनमें पारंगत बनने का प्रयास करूं, तब तो इतने सबके ज्ञाता-दृष्टा बनने के लिए तो ये जिंदगी भी कम ही पड़ेगी. भले मैं कहूं मैं तो सिर्फ जान ही रही हूं, कुछ भी बदलने का तो मेरा मक्सद ही नहीं
39