________________
जीव कहे क्या करना है, जीव कहे क्या करना है हर पल, हर क्षण, मैं देह नहीं, न हूं संयोग यही तो मानना जानना है, जीव कहे क्या करना है
जीव कहे क्या करना है, जीव कहे क्या करना है मुझमें होते रागादि भावों से भिन्न ही मुझ चैतन्य को जान उसमें ही अहं करना है, जीव कहे क्या करना है
जीव कहे क्या करना है, जीव कहे क्या करना है मैं हूं ही शुद्ध बुद्ध जीव, यही जान लिया, मान लिया तो फिर करना ही क्या मुझमें ही तो रमण करना है
जीव कहे क्या करना हैं, जीव कहे क्या करना है