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चंदनबाला
महावीर के शासन के जैनों, पहचानो सती चंदनबाला को वो महावीर की प्यारी थी, उनकी प्रथम शिष्या थीं महावीर के शासन की, जिन वाणी की वो प्रतीक हैं चंदनबाला तो जन्म से राजकुमारी और अपार वैभव धारी
कर्मों के उदय से, बिकना पड़ा उसे बाजार में महावीर तब उसे बचाने नहीं आये और उसे तो बिकना ही पड़ा फिर कर्मों का उदय देखो, एक सेठ की नजर पड़ी और सेठ ने उसे खरीद लिया, घर लाया एक दासी तरह
बनी चंदनबाला राजकुमारी से दासी तब क्या महावीर उसके साथ थे, जिनवाणी का संग था फिर पड़ी नजर उसकी सुन्दरता पर सेठानीजी की हथकडियां लगीं, अंधियारे में बंद रही वही चंदनबाला
तब फिर सेठ आ पहुंचे और देते हैं उसे कठोर, सूखे बाकुड़े खाने को, भूख बुझाने को ऐसे, ऐसे घोर कष्टों में, प्रतिकूल वातावरण में भी न भूली चंदनबाला महावीर को, न भूली जिनवाणी को
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