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योगकल्पलता
सभी तीर्थों का निवास इसमें हैं सभी व्रत के समान फल देनेवाला यह मन्त्र है सभी योगी इसका ध्यान करते हैं अतः तू सदा नमस्कार का ध्यान कर।।४७।।
महामृत्युहरं मन्त्रं मन्त्रं जन्मनिषेधकम्।
प्रमादपरिहारेण नमस्कारं सदा स्मर।।८।। जन्म को रोकनेवाले, मृत्यु का हरण करनेवाले इस मन्त्र का सदा तू आलस्य दूर करके ध्यान कर।।४८।।
सर्वावेशकरं मन्त्रं मन्त्रं वेधकरं पुनः।
सर्वामृतकरं मन्त्रं नमस्कारं सदा स्मर।।४९।। सभी प्रकार का उत्साह देनेवाला कर्मों का क्षय करनेवाला अमृतदायक इस नमस्कार का स्मरण कर।।४९।।
गुरोर्भद्रङ्कराख्यस्य पन्न्यासपदधारिणः।
प्रसादाद्रचितं भक्त्या नमस्कारस्तवं नवम्।।५०।। ___ गुरु पंन्यास श्री भद्रकरविजय महाराज को नमन है, जिनकी कृपा से यह नये नमस्कारस्तव की रचना हुई।।५।।।