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नमस्कारस्तवः
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चन्द्रबिम्ब या सूर्यकिरण में अग्निज्वाला के समान तेजवाले नमस्कार मन्त्र का तू सदा ध्यान कर।।४१।।
सर्वरक्षाकरं मन्त्रं मन्त्रं सर्वार्थसिद्धिदम्।
सर्वानन्दमयं मन्त्रं नमस्कारं सदा स्मर।॥४२॥ सभी विपत्तियों में रक्षा करनेवाला, सभी कार्यों में सफलता देनेवाला तथा आनन्दरूप इस नमस्कार मन्त्र का सदा ध्यान कर।।४२।।
सर्वरोगहरं दिव्यं सर्वाशापरिपूरकम्।
त्रैलोक्यमोहनं मन्त्रं नमस्कारं सदा स्मर।।४३।। यह मन्त्र दिव्य, सभी रोगों का हरण करनेवाला, सभी मनोरथ को पूरा करनेवाला तीनों लोक को वश में रखनेवाला है, अतः तू नमस्कार का सदा ध्यान
कर।।४३॥
शान्तितुष्टिकरं मन्त्रं मन्त्रं कर्महुताशनम्।
मोक्षसिद्धिप्रदं भक्त्या नमस्कारं सदा स्मर।।४४।। शान्ति देनेवाला, सन्तोष देनेवाला, कर्मों का क्षय करनेवाला मोक्षरूप सिद्धि देनेवाला यह मन्त्र अतः भक्तिपूर्वक तू इसका स्मरण कर।।४४।।
षट्कर्मसाधकं मन्त्रं सोमसूर्यानलात्मकम्।
सर्वश्रेयस्करं सद्यो नमस्कारं सदा स्मर।।४५।। सूर्य-चन्द्रमा के समान तेज (ज्योति) वाले, ६ कर्मों को सिद्ध करनेवाले, तुरन्त ही कल्याण करनेवाले, इस नमस्कार मन्त्र का सदा स्मरण कर।।४५।।
चमत्कारकरं मन्त्रं मन्त्रं शोकनिवारकम्।
सर्वाह्लादकरं मन्त्रं नमस्कारं सदा स्मर।।४६॥ सभी शोकों को दूर करके सब प्रकार की खुशियों को देनेवाले, चमत्कार (अनहोनी) करनेवाले नमस्कार मन्त्र का सदा ध्यान कर।।४६।।
सर्वतीर्थमयं मन्त्रं मन्त्रं सर्वव्रतोपमम्। सर्वयोगीश्वरैर्ध्यातं नमस्कारं सदा स्मर।।४७।।