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छन्दोग्रन्थ का आधार लेकर इन छन्दो का विवरण दिया है। (जै.सा.सं.इ.६०४ टी. ४१९) प्रस्तुतसंपादन :
___ यह लघुकृति पहले काव्यमाला के सातवें भाग में मुद्रित थी । वहाँ कुछ पाठ खण्डित है । प्रस्तुत सम्पादन 'गव्हर्मेन्ट मेन्युस्क्रीप्ट लायब्रेरी भाण्डारकर ओरिएन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, पुणे' से प्राप्त दो हस्तप्रत (A & B प्रत) तथा पाटण के 'हेमचन्द्राचार्य ज्ञानभण्डार' से प्राप्त दो हस्तप्रत (C & D प्रत) के आधार पर किया गया है। यह चारों हस्तप्रत पंचपाठी है जिनका भण्डार क्रमांक
A प्रत - १८८/१८८१-८२ काल - संवत् १५२४ B प्रत - ६४८/१८९५-९८ C प्रत - पाकाहेम - १२३८१ काल - संवत् - १५१८ D प्रत - पाकाहेम - १२३८३ (अपूर्ण)
अवचूरि में निर्दिष्ट व्याख्या (पदविवरण) का कोश परिशिष्ट-४ में शामिल है । सम्पादन के लिये पाटण की दो पाण्डुलिपियाँ प.पू. परार्थप्रवण विद्वान् संशोधक आचार्यदेव श्रीमुनिचन्द्रसूरीश्वरजी म. के द्वारा प्राप्त हुई है और इस कृति का परिमार्जन भी किया है। अतः उनके प्रति सविशेष कृतज्ञता अभिव्यक्त करता हूँ । प.पू. आ.भ.श्रीशीलचन्द्रसू.म. ने सम्पादन कर्म में सहाय की है।
श्री अमितकुमार उपाध्ये (एम्.ए.) ने बड़ी लगन और मेहनत से इस लघुकृति का सम्पादन कर्म किया । अतः वह साधुवादार्ह है ।
इस संशोधन सम्पादन की क्षतियाँ विद्वज्जन सुधार कर निर्देश करेंगे यही मनोकामना । २५ जून, २०११
- मुनि वैराग्यरतिविजय आगम मन्दिर कात्रज, पुणे.